कश्मीर के सजायाफ्ता अलगाववादी यासीन मलिक को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है. वो दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था और वहाँ भूख हड़ताल पर था. समाचार एजेंसी एएनआई ने जेल अधिकारियों के हवाले से ये जानकारी दी है.
एएनआई के मुताबिक़ ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव के कारण उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इस साल मई में यासीन मलिक को एनआईए की एक अदालत ने टेरर फ़ंडिंग के मामलों में दोषी क़रार देते हुए उम्र कैद की सज़ा सुनाई थी.
यासीन मलिक को दो अलग-अलग मामलों में उम्रकैद की सज़ा मिली है. इसके अलावा दस मामलों में 10-10 साल की सज़ा सुनाई गई है. सभी सज़ाएं साथ में चल रही हैं. इसके अलावा यासीन मलिक पर 10 लाख का जुर्माना लगाया गया था.
एक दिन पहले ही यासीन मलिक के समर्थन में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भी ट्वीट किया था. इमरान ख़ान ने मंगलवार को ट्वीट करके मोदी सरकार को फ़ासीवादी करार दिया और सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने यासीन मलिक को प्रताड़ित किया और उन्हें भूख हड़ताल पर जाने को मजबूर किया है.
उन्होंने लिखा, ‘‘मैं तिहाड़ जेल में बंद कश्मीरी नेता यासीन मलिक को प्रताड़ित करने और भूख हड़ताल पर जाने को मजबूर करने के फासीवादी मोदी सरकार के प्रयास की कड़ी निंदा करता हूं. वहां उनकी जान को बहुत ख़तरा है. मैं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार हाई कमिश्नर, संयुक्त राष्ट्र महासचिव और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से अनुरोध करता हूं कि वे भारत के खि़लाफ़ कार्रवाई करें और यासीन मलिक की जान बचाएं.’’
यासीन मलिक पर देश के विरुद्ध युद्ध छेड़ने, आपराधिक साज़िश रचने और ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों में शामिल होने जैसे संगीन आरोप थे. उसने अदालत में अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था. यासीन मलिक पर UAPA की धारा 16, धारा 17, धारा 18 और धारा 20 के तहत दोषी पाया था. इन धाराओं में आतंकवादी गतिविधि, आतंकवादी गतिविधि के लिए धन जुटाना, आतंकवादी कृत्य की साज़िश रचना और आतंकवादी समूह की या संगठन का सदस्य होने जैसे अपराध शामिल होना.
यासीन मलिक प्रतिबंधित जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट (JKLF) का अध्यक्ष तो था ही, साथ ही इसके संस्थापकों में से भी एक था.
इस संगठन ने 1989 और उसके कुछ सालों बाद तक मूल रूप से कश्मीर घाटी में सशस्त्र उग्रवाद का नेतृत्व किया था. यासीन मलिक जम्मू और कश्मीर को भारत और पाकिस्तान दोनों से आज़ादी दिलाने की वकालत करता है.
बाद में उसने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया और बातचीत का रास्ता अपनाया, लेकिन वो कश्मीर की भारत और पाकिस्तान दोनों से आज़ादी की वकालत करता रहा.
वो पहले भी कई बार जेल जा चुका है. पहली बार उसे जब जेल भेजा गया था तो उनकी उम्र केवल 17 साल थी. उसका दावा है कि उसने 1980 में भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा हिंसा को देखने के बाद हथियार उठाए थे.
-एजेंसी
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