चुनावों में जीतने के लिए ‘रेवड़ी कल्चर’ का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। मंगलवार को सीजेआई एनवी रमना ने भी कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। सीजेआई ने केंद्र सरकार से स्थिति पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने को कहा है। उनका कहना था कि केंद्र को इस मसले पर कदम उठाना होगा। सीजेआई बोले कि ये गंभीर मसला है तभी हम इस पर सुनवाई कर रहे हैं। कर्ज पर केंद्र के साथ रिजर्व बैंक कदम उठाए। राज्य कैसे कर्ज ले सकते हैं।
चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि मुफ्त उपहार और चुनावी वादों से संबंधित नियमों को आदर्श आचार संहिता में शामिल किया गया है लेकिन इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई भी कानून केंद्र सरकार को बनाना होगा। चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ऐसे फैसले हैं जो कहते हैं कि चुनावी घोषणा पत्र कोई वादा नहीं है.
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि इस मुद्दे पर ईसीआई को विचार करना होगा। सीजेआई ने उनसे कहा कि आप इसे लिखित में क्यों नहीं देते कि हमारे पास कोई अधिकार नहीं है। चुनाव आयोग को एक कॉल लेने दें। मैं पूछ रहा हूं कि क्या भारत सरकार का मानना है कि यह एक गंभीर मुद्दा है। आप एक स्टैंड लेते हैं तो हम तय करेंगे कि क्या इसे जारी रखा जा सकता है या नहीं। मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त को संभावित है।
70 लाख करोड़ का कर्ज
मामले में जनहित याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता अश्वनि उपाध्याय ने कहा कि भारत के राज्यों पर 70 लाख करोड़ का कर्ज है। पंजाब की आबादी 3 करोड़ है पर कर्ज तीन लाख करोड़ का है। कर्नाटक पर 6 लाख करोड़ का कर्ज है। उपाध्याय का कहना था कि हम श्रीलंका की राह पर चल रहे हैं। वहां भी ऐसे ही रेवड़ी कल्चर बनी थी। सारा का सारा देश ही तबाह हो गया.
सिब्बल से मांगा सुझाव
CJI एनवी रमना ने एक अलग मामले के लिए कोर्ट में बैठे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से भी उनकी राय मांगी। उन्होंने सिब्बल से कहा कि आप एक वरिष्ठ अधिवक्ता होने के साथ साथ एक वरिष्ठ भी सांसद हैं, आप इसे किस तरह देखते हैं? सिब्बल का कहना था कि इस मामले में वित्त आयोग को कदम उठाना होगा। हम केंद्र से कोई अपेक्षा नहीं कर सकते क्योंकि इसमें बहुत से राजनीतिक मुद्दे शामिल हैं। आयोग ही इसमें दखल दे सकता है।
-एजेंसी
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