कांग्रेस के साथ लंबी चली बातचीत के बाद भी उसके साथ न जाने वाले प्रशांत किशोर ने अब उसके बारे में अहम टिप्पणी की है। प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को लेकर कहा है कि उसके नेता यह मानते हैं कि सरकार को लोग खुद ही उखाड़ फेंकेंगे और उन्हें सत्ता मिल जाएगी.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता में रही है और उसे विपक्ष में रहना नहीं आता। उन्होंने कहा, ‘मैं देखता हूं कि कांग्रेस के लोगों में एक समस्या है। वे मानते हैं कि हमने लंबे समय तक देश में शासन किया है और जब लोग नाराज होंगे तो सरकार को उखाड़ फेंकेंगे और फिर हम आ जाएंगे। वे कहते हैं कि आप क्या जानते हैं, हम सब कुछ जानते हैं और लंबे समय तक सरकार में रहे हैं।’
प्रशांत किशोर ने इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम ई-अड्डा में बातचीत करते हुए कहा कि कांग्रेस देश में एक मुख्य विपक्षी दल है, जो दशकों तक सत्ता में रही है। लेकिन उसे यह सीखना होगा कि विपक्ष में कैसे रहा जाता है। आप यह कहके नहीं बच सकते हैं कि मीडिया हमें कवर ही नहीं कर रहा है। इससे ऐसा लगता है कि उन्हें सत्ता में ही रहने की आदत हो गई है और लोग आज उनकी सुन नहीं रहे हैं तो खीझ पैदा हो रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा से फिलहाल कोई एक ही दल मुकाबला नहीं कर पाएगा। इसके लिए उन्होंने कांग्रेस का ही उदाहरण देते हुए कहा कि 1950 से 1990 के दशकों में हम देखते हैं कि कांग्रेस का मुकाबला कोई एक दल नहीं कर पा रहा था। इसमें एक लंबा वक्त लगा था। इसीलिए मैं कहता हूं कि आने वाला एक लंबा वक्त भाजपा का हो सकता है, यदि उसे मिलकर चुनौती नहीं दी गई।
लगातार गिर रही कांग्रेस, अपने दम पर 4 दशक से नहीं बनाई सरकार
उन्होंने कहा कि कोई एक दल यदि सोचे कि वह भाजपा को मात दे देगा तो यह गलत है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस 1984 के बाद से ही लगातार गिरावट के दौर में है। वह तब से एक बार भी अपने लेवल पर सरकार नहीं बना सकी है। 2004 में कांग्रेस की सरकार 145 सीटों से सरकार बनी थी। हम देख सकते हैं कि लगातार उसमें गिरावट आती रही है। वर्तमान दौर में विपक्ष की मजबूती को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि मुद्दों के आधार पर सरकार के खिलाफ एक बड़ा वर्ग दिखता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि उसका फायदा विपक्ष उठा ही पाएगा।
शाहीन बाग और किसान आंदोलन का किया जिक्र
उन्होंने कहा कि कांग्रेस लगातार गिरावट झेलती रही है। आपातकाल. बोफोर्स, मंडल आंदोलन, राम मंदिर आंदोलन और फिर 2014 में हुए इंडिया अगेंस्ट करप्शन मूवमेंट ने कांग्रेस के वोट शेयर में लगातार कमी की.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस लगातार गिरती आ रही है और उसने अपने वोटबैंक को रिकवर नहीं किया है। आपको एक नैरेटिव तैयार करना होगा कि लगातार संघर्ष कर रहे हैं और तभी नतीजा निकलेगा। पीके ने कहा कि आप देखेंगे कि शाहीन बाद और किसान आंदोलन जैसे प्रदर्शनों में कोई चेहरा नहीं था। लेकिन कुछ लोग एक मुद्दे के पीछे साथ आए और लगातार प्रदर्शन करते रहे और फिर सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़ गए.
पीके बोले, बिना चेहरे के भी सरकार को दी जा सकती है चुनौती
चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि इससे पता चलता है कि यदि आपके पास नैरेटिव है तो फिर किसी करिश्माई चेहरे की भी जरूरत नहीं है। पीएम नरेंद्र मोदी, कैप्टन अमरिंदर सिंह और ममता बनर्जी जैसे नेताओं की जीत चेहरे के आधार पर होने के सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि इसके पीछे नैरेटिव भी था। यदि आप पास नेता एक मेसेंजर के तौर पर हो और मेसेज भी सही तो काम आसान हो जाता है, लेकिन नैरेटिव सबसे अहम चीज है।
-एजेंसियां
Discover more from Up18 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.