बॉलीवुड को मुगलों पर फिल्‍म बनाना पसंद, साइंस और साइंटिस्ट्स पर नहीं: आर माधवन

Entertainment

नई दिल्‍ली। पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण के जीवन पर आधारित फिल्म रॉकेट्री-द नंबी इफेक्ट्स बनाने वाले आर माधवन ने बॉलीवुड को लेकर एक ऐसी बात कह दी जो बॉलीवुड के दिमागी स्‍तर को दिखाती है। एक अखबार को दिए इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा कि बॉलीवुड को मुगलों पर फिल्‍म बनाना अधिक पसंद है बजाय साइंस और सांइंटिस्‍ट्स पर उन्‍हें अधिक काम करना पड़ेगा क्‍योंकि वहां झूठ नहीं चल सकता और वहां ग्‍लैमर भी कम परोसा जाएगा।

उन्‍होंने आगे कहा कि बॉर्डर पर लड़ने वाले देशभक्‍तों की कहानी तो सब जानते हैं। हमारे बीच ऐसे देशभक्‍त भी हैं, जो रोजाना अपनी जान जोखिम में डालते हैं। यह जानते हुए कि उनके बारे में कोई कभी नहीं लिखेगा। नंबी नारायण वैसे ही गुमनाम हीरो हैं।

अंतरिक्ष में भारत की तरक्‍की में उनका जो योगदान है, उस बारे में किसी को नहीं पता। मालूम है तो बस उनसे जुड़ी कंट्रोवर्सी कि उनका तो अफेयर था और उन्‍होंने दुश्‍मन देश को भारत की गुप्‍त बातें लीक कर दीं। जबकि भारत के रॉकेटों के प्रक्षेपण उनके बनाए इंजन की वजह से होते हैं। लिहाजा मैंने उन पर पिक्‍चर बनाना तय किया।

नंबी नारायण की बुरी आदतों पर डेढ़ साल की रिसर्च

माधवन हालांकि इस बात पर भी जोर देते हैं कि इस बायोपिक में नंबी नारायण का सिर्फ महिमामंडन नहीं किया है। उन्‍होंने कहा, दर्शकों को जब तक उनकी खामियों के बारे में नहीं बताता, तब तक उनकी अचीवमेंट भी लोगों को समझ नहीं आती। मैं खुद नहीं समझ पाया कि बॉलीवुड में करोड़ों की मेगाबजट फिल्‍में मुगलों और बाकियों पर बनती रही हैं, मगर विज्ञान और वैज्ञानिकों के विषय पर हमारा बॉलीवुड दूर रहा है। हॉलीवुड वाले साइंस पर बेस्‍ड ‘इंटरस्‍टेलर’ वगैरह बनाते हैं तो लोग खुश हो जाते हैं।

वैसे हीरोज तो हमारे यहां थोक के भाव में पड़े हुए हैं, जिनके बारे में हम यहां फिल्‍म नहीं बनाते। ऐसा रवैया आम लोगों में भी हैं। अंतरिक्ष बहुत जल्‍द हमारे जीवन का बहुत जरूरी हिस्‍सा बनने वाला है। वह इसलिए कि वहां शायद हमें ऐसे एलिमेंट मिल जाएं, जो धरती पर नहीं हैं। आने वाली तारीख में जिन देशों का अंतरिक्ष पर कब्‍जा होगा, वो सबसे ताकतवर होंगे। दुर्भाग्‍य से यह सब हमारे यहां डिसकस नहीं हो रहा।

नंबी नारायण की कोई दखलंदाजी नहीं

माधवन एक और चीज स्‍पष्‍ट करते हैं। वो बताते हैं, ‘एक तो नंबी नारायण खुद सेट्स पर नहीं रहते थे। अगर रहते भी तो सिर्फ इसलिए कि साइंस वाला पार्ट सही से शूट हो। ऐसे में बतौर राइटर मेरे पास चैलेंज यह था कि उनके साइंस वाली अचीवमेंट को हम लेमैन टर्म में उनके काम को कैसे दर्शकों को समझाएं। साइंस वाले सारे पहलुओं को हमने ऑथेंटिसिटी के करीब रखा है। ये फिल्‍म इसलिए भी जरूरी है कि नंबी नारायण जैसे लोगों के चलते ही तमाम चुनौतियों के बावजूद इंडिया इतना बेहतर कर रहा है।

– एजेंसी


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.