आगरा: चाहे वह जूते के अंदर छिपे दो वुल्फ स्नेक हों, नाले में चार फुट लंबी विशाल मॉनिटर लिज़र्ड (गोह), साइकिल के हैंडल पर कैट स्नेक या फिर घर में बने शौचालय में एक चेकर्ड कीलबैक सांप, वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट ने जुलाई की शुरुआत में ही 24 सरीसृपों को सफलतापूर्वक बचाया है।
बारिश के आते ही रैपिड रिस्पांस यूनिट अलर्ट
शहर में मानसून के दस्तक देते ही, वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट अलर्ट पर आ चुकी है। बिलों और गड्ढों में पानी भरने के साथ ही विभिन्न सरीसृप प्रजातियां शहरी छेत्र में आश्रय लेने के लिए जंगल से बाहर निकलती हैं। वन्यजीव संरक्षण एनजीओ की हेल्पलाइन (+91-9917109666) पर लगातार सांप और गोह से जुड़ी कॉल्स आ रही हैं, जिनमें से कुछ तो काफी अप्रत्याशित जगहों पर देखी गई हैं।
24 सांपों का किया रेस्क्यू
वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट ने पिछले तीन दिनों में 24 सरीसृपों का रेस्क्यू किया है, जिसमें दो वुल्फ स्नेक शामिल हैं। मथुरा के शहजादपुर में एक जूते के अंदर पानी से बचने के लिए शरण ली थी। दो चेकर्ड कीलबैक सांप- जहां एक कालिंदी विहार में घर के शौचालय से और दूसरा दयालबाग में एयर कंडीशनर में बैठा था। एक कॉमन कैट स्नेक साइकिल के हैंडलबार पर मिला और दो बड़ी मॉनिटर लिज़र्ड (गोह)- एक चार फुट लंबी गोह राधा नगर, बाल्केश्वर में नाले से और दूसरी रामबाग, आगरा में स्थित कागज़ के दोने बनाने वाली फैक्ट्री में मिली।
ये रही संख्या
वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट ने पिछले 72 घंटे में कुल 9 मॉनिटर लिज़र्ड, 5 भारतीय रैट स्नेक, 3 चेकर्ड कीलबैक, 3 कोबरा, 2 इंडियन वुल्फ स्नेक, 1 ब्लैक हेडेड रॉयल स्नेक और एक कॉमन कैट स्नेक का सुरक्षित रूप से रेस्क्यू किया है।
सुरक्षित स्थानों की तलाश में आते हैं बाहर
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने बताया, “बारिश के मौसम में आमतौर पर सरीसृपों से जुड़ी कॉल्स में वृद्धि आती है। चूंकि सांपों और गोह के आश्रयों में पानी भर जाता है, इसलिए वे सुरक्षित और सूखे स्थानों की तलाश में बाहर निकलते हैं और अनजाने में इमारतों और घरों में प्रवेश कर जाते हैं। इसके अलावा, मानसून मेंढकों के प्रजनन का मौसम भी है जो की सांपों के लिए एक आम शिकार है, इसलिए भी मानसून विभिन्न सांप प्रजातियों को आकर्षित करता है।
हेल्पलाइन पर कॉल कर सही निर्णय लें
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी ने कहा, “हमें बारिश के मौसम में सरीसृप देखे जाने की अधिकतम कॉल प्राप्त होती हैं और कभी-कभी हमारी टीम एक दिन में 6-8 सरीसृपों को रेस्क्यू करती हैं ! यह देखकर हमें खुशी है कि ऐसे मामलों को अपने हाथों में लेने के बजाय लोग हमारी हेल्पलाइन पर कॉल कर सही निर्णय ले रहे हैं। हमारी रैपिड रिस्पांस यूनिट चौबीस घंटे काम करती है, ताकि सहायता के लिए आई सारी कॉल्स का वक़्त पर जवाब दे सके।
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