राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार NSA अजीत डोभाल ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में अग्निपथ योजना, सेना में बदलाव की ज़रूरत, राष्ट्रीय सुरक्षा, कश्मीर, चीन और पाकिस्तान के साथ संबंधों पर बात की.
उन्होंने अग्निपथ योजना को सेना और राष्ट्र की सुरक्षा के अहम बताया और कहा कि इसे वापस नहीं लिया जाएगा.
अजीत डोभाल ने कहा, ”ये योजना बिल्कुल वापस नहीं होगी. इस पर दशकों से बात हो रही है और नौजवान सेना की मांग हो रही है. हर किसी ने इसकी ज़रूरत महसूस की लेकिन उनमें इसे लागू करने की राजनीतिक इच्छा शक्ति और हिम्मत नहीं थी. 2007 में विदेश मंत्री ने इसे पूरी तरह नंज़रअंदाज किया.” उन्होंने कहा कि इस योजना को लेकर भ्रम फैला हुआ है.
उन्होंने कहा, ”ये बिल्कुल भ्रम है कि अग्निवीरों का सम्मान नहीं होगा. इनका गाँव में ही नहीं बल्कि वहाँ से बाहर भी उतना ही सम्मान होगा. ये देश की बहुत बड़ी निधि होंगे. वो परिवर्तन को एक नई दिशा देंगे. कई लोगों को निजी कारणों से सेना को छोड़कर आना पड़ता है. क्या उनको सम्मान नहीं मिलता था. इन्हें तो और ज़्यादा मिलेगा क्योंकि उनके लिए आगे भी संभावनाएँ हैं.”
”जब भी कोई परिवर्तन आता है, उसके साथ जुड़े हुए डर, चिंताएँ और आकाक्षाएँ आती हैं. जैसे-जैसे लोगों को अधिक सूचना और बातों का पता चल रहा है वैसे-वैसे लोग इसे समझ रहे हैं. ये तो हमारी पुरानी आवश्यकता थी. वो राष्ट्र के प्रति समर्पित हैं और धीरे-धीरे उनकी चिंताएँ कम हो रही हैं.”
चार साल बाद सेवानिवृत्त होने वाले अग्निवीरो को लेकर उन्होंने कहा, ”इसे लेकर ग़लतफ़हमी है. हम एक नौजवान व्यक्ति की बात करते हैं तो 22-23 साल का है जिसने सेना में काम किया है और आप बाज़ार में है. वह अनुशासित होगा, उसमें टीम में काम करने क्षमता, कौशल और आत्मविश्वास होगा. उसके लिए सारे रास्ते खुले होंगे. उनके पास 11 लाख रुपए भी हैं जिनसे वो आगे पढ़ सकते हैं और टेक्निकल कौशल भी हासिल कर सकते हैं.”
”इस देश के हर उस युवा को अवसर मिलता है जिसमें देश की रक्षा के लिए इच्छा और प्रेरणा है और प्रतिबद्धता की भावना है. उनकी ऊर्जा और प्रतिभा का इस्तेमाल इस देश को मजबूत बनाने में किया जाता है.”
कोचिंग सेंटर के शामिल होने को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, विरोध प्रदर्शनों के मामले में एफ़आईआर की जाएगी, अभियुक्तों की पहचान होगी और जाँच के बाद हम बता पाएँगे कि इसके पीछे कौन था.
अजीत डोभाल ने अग्निपथ योजना की ज़रूरत पर ज़ोर देकर कहा, ”इस योजना को एक परिप्रेक्ष्य में देखने की ज़रूरत है. अग्निपथ अपने आप में एक अकेली योजना नहीं है. जब पीएम मोदी 2014 में सत्ता में आए थे उनकी एक प्राथमिकता ये थी कि भारत तो सुरक्षित और मजबूत कैसे बनाएँ. इसके लिए कई क़दम उठाने की ज़रूरत है. विस्तार से देखें तो ये चार श्रेणियों में आता है- भविष्य को ध्यान में रखते हुए उपकरण, प्रणाली और ढाँचे में बदलाव, तकनीक में बदलाव, श्रमशक्ति और नीतियों में बदलाव.”
”सुरक्षा एक परिवर्तनशील विषय है, यह स्थिर नहीं रह सकता. ये उस माहौल से जुड़ा होता है जिसमें हमें अपने राष्ट्र हित और राष्ट्रीय संपत्ति की सुरक्षा करनी होती है. युद्ध के तरीक़े बदल रहे हैं. हम संपर्करहित युद्ध और अनेदखी सेना के साथ युद्ध की तरफ़ बढ़ रहे हैं. तकनीक तेज़ी से बदल रही है. अगर हमे कल के लिए तैयार होना है तो हमें आज बदलना होगा.”
उन्होंने कहा, ”सेना में जो लोग जाते हैं वो पैसे के लिए नहीं जाती उनमें देशप्रेम, राष्ट्रभक्ति और यौवन की शक्ति होती है. अगर वो भावना नहीं तो आप इसके लिए नहीं बने हैं. शारीरिक क्षमताओं के साथ-साथ देश, नेतृत्व और समाज पर भरोसा रखें.”
-एजेंसियां