गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई भीषण सैन्य झड़प को आज दो साल पूरे हो गए हैं। पूरे देश में इस हिंसा के दौरान शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जा रही है। चीन ने भी इस साल फरवरी में अनमने ढंग से ही सही इस हिंसा में मारे गए अपने सैनिकों की सच्चाई को स्वीकार कर ही लिया।
उस समय चीन ने कई वीडियो जारी करते हुए भारतीय सेना पर हमला करने और उकसाने का आरोप लगाया था। हालांकि, सच्चाई यह है कि चीन इन वीडियो के जरिए खुद के दावे में उलझ गया है।
सैटेलाइट इमेजरी और गूगल अर्थ के जरिए वीडियो का विश्लेषण करने के बाद चीन पर नजर रखने वाले एक सामरिक विशेषज्ञ ने बताया था कि भारत और चीन के बीच झड़प का यह स्थान एलएसी से लगभग 50 मीटर अंदर भारत की तरफ है। जिसके बाद इस बात की पुष्टि हो रही है कि चीन ने जबरदस्ती भारतीय क्षेत्र में घुसने के बाद भारतीय सैनिकों पर हमला किया था।
भारतीय सीमा में घुसकर चीन ने किया था हमला
चीन मामलों के जानकार और ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट के रिसर्चर नाथन रुसर ने दावा किया है कि जियोलोकेटर की मदद से पता चलता है कि झड़प वाली जगह भारतीय सीमा के अंदर लगभग 50 मीटर अंदर थी। एक चट्टान पर पहुंचने और नदी पार करने से पहले भारतीय सेनाओं के फुटेज में घाटी के दक्षिण की ओर चलते देख सकते हैं। मुझे विश्वास है कि वह पत्थर भारतीय सीमा में हरे रंग से घेरे गए स्थान पर स्थित है। ऐसे में यह दावा सही साबित होता दिखाई दे रहा है कि चीनी सेना ने भारतीय इलाके में घुसकर हमला किया था।
गलवान में भारतीय सेना ने दिया था करारा जवाब
भारतीय सेना ने गलवान में चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया था। यही कारण है कि चीनी सेना को यहां भारी नुकसान उठाना पड़ा था। भारतीय सेना के कई उच्च अधिकारियों ने भी यह स्वीकार किया है कि इस इड़प में चीन के कम से कम 50 जवान हताहत हुए थे। रूस की सरकारी न्यूज़ एजेंसी तास ने तो कुछ दिन पहले ही लिखा था कि गलवान में चीन के 45 सैनिकों की मौत हुई थी। हालांकि, तब से लेकर कल तक चीन इस हमले में अपने सैनिकों के मारे जाने की बात को स्वीकार करने से डर रहा था।
चीन ने क्यों किया था गलवान में सैनिकों की मौत का खुलासा
दरअसल, चीन लद्दाख में तनाव के शुरू होने के बाद से ही चौतरफा घिरा हुआ है। भारत की कड़ी जवाबी कार्यवाही ने तो पहले से ही पीएलए के सैनिकों के हौसले तोड़ दिए थे। इस बीच पैंगोंग झील से सैनिकों की वापसी को लेकर चीन की अपने ही देश में खासी आलोचना हो रही थी। इसमें बची हुई कसर रूस की न्यूज़ एजेंसी तास ने पूरा कर दिया। लोगों को तास की खबर पर इसलिए ज्यादा भरोसा है क्योंकि गलवान में हिंसक झड़प के बाद रूस के कहने पर भी भारत और चीन के बीच राजनीतिक स्तर पर पहली बातचीत हुई थी।
-एजेंसियां
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