राजनीति और अर्थशास्त्र को सही कर सके तो भारत निश्चित रूप से भूगोल पर जीत हासिल कर इतिहास को फिर से लिख सकता है: जयशंकर

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत अपने हितों को लेकर स्पष्ट है और ध्रुवीकरण वाले वैश्विक हालात में गुटनिरपेक्षता की अपनी नीति पर अटल है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का जिक्र करते हुए उन्होंने कूटनीति की भूमिका पर भी जोर दिया। आईआईटी गुवाहाटी के छात्रों से बातचीत के दौरान जयशंकर से गुटनिरपेक्ष नीति, चीन, मिजोरम शरणार्थी संकट आदि पर पूछे गए कई सवालों के जवाब दिए।

जयशंकर ने देश की वृद्धि और सुरक्षा में कूटनीति की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि यह एक तरह से रक्षा की पहली पंक्ति है। उन्होंने कहा, ‘अगर कूटनीति कामयाब होती है तो सेना की आवश्यकता नहीं है… लेकिन कुछ मामलों में जब सैन्य कार्रवाई की बेहद आवश्यकता होती है तो कूटनीति समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।’

गुटनिरपेक्षता की चुनौती

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के लिए अपनी गुटनिरपेक्ष नीति को बरकरार रखने की चुनौती कोई नई नहीं है। जयशंकर ने कहा, ‘हर बार जब विश्व का ध्रुवीकरण होता है, तो उसकी अपनी जटिलताएं होती हैं और हम अभी उसी स्तर पर हैं। इसकी कई वजहें हैं, यूक्रेन उनमें से एक है।’ भारत के अपने गुटनिरपेक्ष रुख को बनाए रखने पर जयशंकर ने कहा, ‘हमें अपने हितों के बारे में बहुत स्पष्ट होना होगा और इन्हें आगे बढ़ाने को लेकर आश्वस्त होना चाहिए। हमें एक धारणा बनाने और जितना संभव हो सके, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ अपने हितों को संगत बनाने का कौशल आना चाहिए।’

चीन को कैसे रोकेंगे?

यह पूछे जाने पर कि भारत अपने पड़ोस में बदलते समीकरणों को कैसे देखता है और चीन को फायदा उठाने से कैसे रोकता है? उन्होंने कहा कि इससे विश्वास के साथ निपटा जा सकता है। वह इस संबंध में भारत की ‘पहले पड़ोसी’ की नीति के बारे में बोल रहे थे। चीन से चुनौतियों पर उन्होंने कहा कि ज्यादातर परिदृश्यों में अगर कोई ऐसी चीजें करता रहता है जो उनके लिए अच्छी है तो ज्यादातर समस्याओं का समाधान हो जाता है। म्यांमार से शरणार्थियों के मिजोरम में शरण लेने के सवाल पर जयशंकर ने कहा कि भारत यह देखने की कोशिश कर रहा है कि क्या वह इस समस्या को जड़ से खत्म कर सकता है।

उग्रवाद और अपराध से निपटने में पूर्वोत्तर भारत की सीमा से लगते देशों के साथ उठाए जा रहे उपायों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि क्षेत्र की उग्रवाद, मादक पदार्थ के कारोबार और तस्करी की गंभीर समस्याएं थीं। विदेश मंत्री ने कहा, ‘लेकिन जब इन गतिविधियों को पड़ोसी देशों से समर्थन मिलना बंद हो गया तो क्षेत्र अधिक सुरक्षित हो गया।’

… तो भारत फिर से इतिहास लिख सकता है

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि ‘एक्ट ईस्ट’ और ‘पड़ोस प्रथम’ नीतियों के एक साथ आने से भारत के लिए दक्षिण एशिया की सीमाओं से परे भी व्यापक प्रभाव होगा। जयशंकर ने ‘नेचुरल एलाइज इन डेवलपमेंट एंड इंटरडिपेंडेंस’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इसका अहसास बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में बिम्सटेक की क्षमता से स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि म्यांमार के जरिए भूमि संपर्क और बांग्लादेश के जरिए समुद्री संपर्क वियतनाम और फिलिपींस के लिए सभी दरवाजे खोल देगा।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘एक बार जब यह वाणिज्यिक स्तर पर व्यवहार्य हो जाएगा तो महाद्वीप के लिए व्यापक परिणामों के साथ एक पूर्व-पश्चिम पहलू का निर्माण करेगा।’

उन्होंने कहा कि यह न केवल आसियान देशों और जापान के साथ साझेदारी निर्माण करेगा, बल्कि निर्माणाधीन हिंद-प्रशांत आर्थिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी वास्तव में फर्क लाएगा।

जयशंकर ने कहा, ‘यदि हम राजनीति और अर्थशास्त्र को सही कर सके तो भारत निश्चित रूप से भूगोल पर जीत हासिल कर इतिहास को फिर से लिख सकता है।’

उन्होंने कहा कि आसियान देशों और उससे आगे तक पहुंच में सुधार के लिए बांग्लादेश, नेपाल, भूटान तथा म्यांमा के साथ संपर्क बढ़ाकर इस दृष्टिकोण को सफलतापूर्वक साकार किया जा सकता है। विदेश मंत्री ने कहा कि 1965 से निष्क्रिय पड़े छह ऐतिहासिक सीमा पार रेल संपर्कों की बहाली बांग्लादेश, विशेषकर पूर्वोत्तर के साथ संपर्क की दिशा में एक बड़ा कदम है। जयशंकर ने बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार में चल रहीं विभिन्न परियोजनाओं पर प्रकाश डाला जिससे इन देशों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की शुरुआत हुई है।

-एजेंसियां


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