1 हजार साल तक मौजूद रहेगा अयोध्‍या का राम मंदिर: चंपतराय

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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 23 मई तक तक मंदिर के विभिन्न चरणों की विस्तृत रिपोर्ट सार्वजनिक की है। मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने प्रगति रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि एल एंड टी कंपनी को मंदिर और परकोटा (प्राचीर) के निर्माण के लिए ठेका दिया गया है। जबकि टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स (टीसीई) परियोजना प्रबंधन सलाहकार नियुक्त हैं। साथ ही मंदिर ट्रस्ट ने चार अपने इंजीनियर भी तैनात कर रखे हैं।

उन्होंने बताया कि राम मंदिर का निर्माण पीएम मोदी द्वारा 5 अगस्त 2020 को इसके भूमिपूजन के साथ शुरू हुआ था। मंदिर निर्माण इस तर्ज पर किया जा रहा है कि यह कम से कम 1 हजार साल तक मौजूद रहेगा।

पहले एल एंड टी ने मंदिर की नींव के लिए एक डिजाइन का प्रारूप बनाया था, वह टेस्ट में फेल हो गया। इसके बाद आईआई टी के पूर्व निदेशक की अध्यक्षता में विशेषज्ञ तकनीकी समिति गठित कर नए सिरे से मंदिर की नींव की तकनीक पर अध्ययन कर मंदिर निर्माण की प्राचीन तकनीक को जोड़ मंदिर की नींव का निर्माण शुरू हुआ। चंपतराय ने बताया की मंदिर निर्माण में हर तकनीक पर अध्ययन कर मंदिर को हजार साल के मजबूती को आधार बनाकर निर्माण कार्य चल रहा है।

तीन महीने तक हटाया गया मलबा और मिट्टी

राममंदिर निर्माण के लिए जीपीआर सर्वेक्षण नेशनल जियो रिसर्च इंस्टीट्यूट हैदराबाद से जीआरपी सर्वे भी करवाया गया। जीपीआर तकनीक का उपयोग करते हुए भू-सर्वेक्षण किया तो नींव स्थल की खुली खुदाई करके भूमि के नीचे का मलबा और ढीली मिट्टी को हटाने का सुझाव पर काम शुरू करवाया गया।

उन्होंने बताया कि मंदिर स्थल और उसके आसपास लगभग छह एकड़ भूमि से 1.85 लाख घन मीटर मलबा हटाया गया। इस काम में करीब 3 महीने लगे। गर्भगृह में 14 मीटर की गहराई और उसके चारों ओर 12 मीटर की गहराई वाला मलबा और बालू हटाई गई तो एक बड़ा गहरा गड्ढा बन गया। इसमें रोलर कॉम्पैक्ट कंक्रीट (आरसीसी) का उपयोग आरसीसी कंक्रीट का प्लेटफार्म का निर्माण शुरू हुआ। 12 इंच की एक परत को 10 टन भारी क्षमता वाले रोलर द्वारा 10 इंच तक दबा कर 48लेयर में नींव खड़ी की गई।

अक्टूबर 2021 से जनवरी 2022 के बीच भूमिगत RCC की ऊपरी सतह पर, अधिक उच्च भार वहन क्षमता की एक और 1.5 मीटर मोटी सेल्फ-कॉम्पैक्टेड कंक्रीट राफ्ट का (9मी गुणे 9मी के आकार के खंडों में) बैचिंग प्लांट, बूम प्लेसर मशीन और मिक्सर का उपयोग करके डाला गया।

मंदिर के फर्श को ऊंचा करने लिए कर्नाटक और तेलंगाना से मंगाए पत्थर

मंदिर के फर्श को ऊंचा करने का कार्य 24 जनवरी 22 , को शुरू हुआ और यह अभी भी प्रगति पर है। प्लिंथ को RAFT की ऊपरी सतह के ऊपर 6.5 मीटर की ऊंचाई तक उठाया जाएगा। प्लिंथ को ऊंचा करने के लिए कर्नाटक और तेलंगाना के ग्रेनाइट पत्थर के ब्लॉक का इस्तेमाल किया जा रहा है। एक ब्लॉक की लंबाई 5 फीट, चौड़ाई 2.5 फीट और ऊंचाई 3 फीट है। इस काम में लगभग 17,000 ग्रेनाइट ब्लॉकों का उपयोग किया जाएगा। सितंबर 2022 के अंत तक प्लिंथ को ऊंचा करने का काम पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

नक्काशीदार पत्थरों का राममंदिर में हो रहा इस्तेमाल

राय के मुताबिक मंदिर के गर्भगृह और उसके आसपास नक्काशीदार बलुआ पत्थरों को रखना प्रारंभ होगा। प्लिंथ का काम और नक्काशीदार पत्थरों की स्थापना एक साथ जारी रहेगी। राजस्थान के भरतपुर जिले में बंसी-पहाड़पुर क्षेत्र की पहाड़ियों से गुलाबी बलुआ पत्थरों का उपयोग मंदिर निर्माण में किया जा रहा है।

मंदिर में करीब 4.70 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा। राजस्थान से अयोध्या नक्काशी के पत्थर आने लगे हैं। परकोटा-बाहरी परिक्रमा मार्ग-मंदिर निर्माण क्षेत्र और उसके प्रांगण के क्षेत्र सहित कुल 8 एकड़ भूमि को घेरते हुए एक आयताकार दो मंजिला परिक्रमा मार्ग परकोटा बनेगा। इसे भी बलुआ पत्थर से बनाया जाएगा। यह परकोटा भीतरी भूतल से 18 फीट ऊंचा है, चौड़ाई में 14 फीट होगा। इस परकोटा में भी 8 से 9 लाख घन फीट पत्थर का उपयोग होगा।

राममंदिर में लगेंगे खास पत्थर

इतने पत्थर -राम मंदिर परियोजना में परकोटा (नक्काशीदार बलुआ पत्थर) के लिए उपयोग किए जाने वाले पत्थरों की मात्रा लगभग 8 से 9 लाख क्यूबिक फीट है। 6.37 लाख घन फीट बिना नक्काशी वाला ग्रेनाइट प्लिंथ के लिए, लगभग 4.70 लाख क्यूबिक फीट नक्काशीदार गुलाबी बलुआ पत्थर मंदिर के लिए, 13,300 घन फीट मकराना सफेद नक्काशीदार संगमरमर गर्भगृह निर्माण के लिए है। 95,300 वर्ग फुट फर्श और क्लैडिंग के लिए प्रयोग किया जाएगा।

मंदिर को बाढ़ से बचाने के लिए बन रही रिटेनिंग वॉल

मंदिर के चारों ओर मिट्टी के कटान को रोकने और भविष्य में संभावित सरयू बाढ़ से बचाने के लिए दक्षिण, पश्चिम और उत्तर में रिटेनिंग वॉल का निर्माण भी चल रहा है। सबसे निचले तल पर इस वॉल की चौड़ाई 12 मीटर है और नीचे से इस वॉल की कुल ऊंचाई लगभग 14 मीटर होगी। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि मंदिर के पूर्व से पश्चिम की ओर के स्तरों में 10 मीटर का अंतर है, मतलब पूर्व की ओर से पश्चिम की ओर ढलान है। बताया गया कि प्रथम चरण में एक तीर्थ सुविधा केंद्र लगभग 25,000 तीर्थयात्रियों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करेगा। इसे पूर्व की दिशा में मंदिर पहुंच मार्ग के निकट बनाया जाएगा।

राममंदिर के अंदर होंगे कई मंदिर

राम मंदिर के अंदक कई अन्य मंदिरों की स्थापानी भी की जाएगी। जानकारी के मुताबिक भगवान वाल्मीकि, केवट, माता शबरी, जटायु, माता सीता, विघ्नेश्वर (गणेश) और शेषावतार (लक्ष्मण) के मंदिर भी इस योजना में हैं। इनका निर्माण 70 एकड़ क्षेत्र के भीतर लेकिन परकोटा के बाहर मंदिर के आसपास के क्षेत्र में किया जाएगा।

मंदिर के आयाम

1. भूतल पर पूर्व-पश्चिम दिशा में लंबाई – 380 फीट।
2. भूतल पर उत्तर-दक्षिण दिशा में चौड़ाई – 250 फीट।
3. गर्भगृह पर जमीन से शिखर की ऊंचाई – 161 फीट
4. बलुआ पत्थर के स्तंभ- भूतल-166; प्रथम तल -144; दूसरा तल – 82 (कुल-392)

-एजेंसियां