पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के बीच मतभेद की ख़बरें हैं. कोलकाता से प्रकाशित अंग्रेज़ी दैनिक द टेलिग्राफ़ ने इस ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी पार्टी का राष्ट्रीय महसचिव पद छोड़ना चाहते हैं लेकिन ममता बनर्जी हैं कि उन्हें रोकना भी नहीं चाहती. दोनों के बीच पिछले कई महीनों से टकराव की अटकलें लग रही हैं.
अभिषेक बनर्जी को ममता बनर्जी के बाद पार्टी में दूसरे नंबर का नेता माना जाता है. पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान भी उनकी पार्टी में बड़ी भूमिका नज़र आई थी.
अख़बार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है, ”सोमवार को गोवा के चुनाव के बाद अभिषेक बनर्जी ने पद से हटने की इच्छा ज़ाहिर की है और वो सिर्फ़ डायमंड हार्बर से एक सांसद बने रहना चाहते हैं… दीदी को लगता है कि ये केवल ब्लैकमेल करने का एक तरीक़ा है. फ़िलहाल, उनकी अभिषेक को रोकने की कोई इच्छा नहीं है.”
अभिषेक बनर्जी को पार्टी में ममता बनर्जी का उत्तराधिकारी भी माना जाता है. इसे लेकर दूसरे सूत्र ने कहा, ”उन्हें लगता है कि किसी के राजनीतिक करियर या महत्वाकांक्षाओं को जगह देना उनकी जिम्मेदारी नहीं है.”
पार्टी में हो रही इस हलचल को लेकर ममता बनर्जी ने शनिवार शाम पाँच बजे अपने घर पर बैठक रखी है.
अभिषेक, तृणमूल महासचिव पार्था चटर्जी, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रता बख़्शी और फिरहाद हाकिम के अलावा अरूप बिस्वास जैसे वरिष्ठ नेताओं को बैठक में शामिल होने के लिए कहा गया है.
सूत्रों के अनुसार ”दीदी कुछ हालिया घटनाओं को लेकर अभिषेक और आई-पैक (चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से जुड़ी कंपनी) से बहुत नाराज़ हैं… वह पार्टी के संगठन की कमान संभालना चाहती हैं और कल वरिष्ठ नेताओं की एक संचालन समिति की घोषणा कर सकती हैं.”
सूत्रों ने बताया कि ममता बनर्जी दो फ़रवरी को सर्वसम्मति से पार्टी की अध्यक्ष चुनी गई थीं. वह निकाय चुनावों के बाद कुछ संगठनात्मक बदलाव करने की योजना बना रही थीं.
सूत्रों के मुताबिक ”इन हालात में तुंरत उनके दखल की ज़रूरत है… इसलिए कल चुनाव के बावजूद भी वो बैठक कर रही हैं.”
कैसे हुआ टकराव
पिछले साल काली पूजा के समय से ही ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के बीच टकराव की अटकलें तेज़ हो गई थीं. हालांकि, तब ममता बनर्जी ने स्थितियां संभालने की कोशिश की लेकिन कुछ दिनों पहले उन्होंने बड़े नेताओं से बोल दिया कि ‘बहुत हो गया’.
अभिषेक बनर्जी ‘एक व्यक्ति, एक पद’ का नीति पर ज़ोर दे रहे थे. शुक्रवार को फिरहाद हाकिम ने प्रेस वार्ता कर ये जानकारी दी कि पार्टी प्रमुख इस नीति का समर्थन नहीं करती हैं.
उन्होंने कहा, ”जो भी इसके लिए (सोशल मीडिया) अभियान में हिस्सा ले रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट को पार्टी ने अनुमति नहीं दी है और पार्टी प्रमुख भी उसे स्वीकार नहीं करती हैं. ये पोस्ट हटानी चाहिए.”
फिरहाद हाकिम का इशारा उन सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर था जो तृणमूल कांग्रेस के छात्र ईकाई के नेताओं देबांगशु भट्टाचार्य, सुदीप राहा और त्रिनानकुर भट्टाचार्य ने की थीं. इन नेताओं की अभिषेक बनर्जी के साथ नज़दीकी बताई जाती है.
अभिषेक के चचेरे भाई-बहनों आकाश बनर्जी, अगनीशा बनर्जी और अदिती गयेन ने भी सोशल मीडिया पर यही मांग की थी. हालांकि, इनकी अभिषेक बनर्जी से नज़दीकी होने की बात सामने नहीं आई है.
सूत्र ने कहा, ”दीदी ने ये साफ़ कर दिया है कि उनका कोई परिवार नहीं है. उनका मानना है कि बंगाल के लोग ही उनका परिवार हैं.”
”एक व्यक्ति, एक पद की नीति को पिछले साल पाँच जून को एक उच्च स्तरीय बैठक में अपनाया गया था लेकिन दीदी ने ये साफ़ किया था कि वो चरणबद्ध तरीक़े से लागू होगी. इसके अलावा बार-बार इस नीति की मांग को पार्टी के वरिष्ठ नेता दीदी को चुनौती देने के तौर पर देख रहे हैं.”
आई-पैक को लेकर विवाद
पुराने नेताओं में मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के वेरिफाइट ट्विटर हैंडल से भी ‘एक व्यक्ति, एक पद’ को लेकर पोस्ट की गई थी लेकिन चंद्रिमा भट्टाचार्य ने इस पोस्ट के लिए आई-पैक को ज़िम्मेदार ठहराया और फिर वो पोस्ट हटा दी गई.
टीम प्रशांत किशोर ने उसी शाम ट्विटर पर एक बयान दिया, ”आई-पैक तृणमूल कांग्रेस और उसके नेताओं की किसी डिज़िटल प्रॉपर्टी को नहीं संभालता है. ऐसा आरोप लगाने वाले को ग़लत सूचना मिली है या वो साफ़ झूठ बोल रहा है. तृणमूल कांग्रेस को इसकी जाँच करनी चाहिए कि उनकी और उनके नेताओं की डिज़िटल प्रॉपर्टी का ‘कथित (गलत) इस्तेमाल कैसे हो रहा है’.”
इससे एक दिन पहले आई-पैक के वैरिफाइड ट्विटर अकाउंट ने ममता बनर्जी को अनफॉलो कर दिया लेकिन शाम को फिर उन्हें फॉलो कर लिया.
अभिषेक बनर्जी और प्रशांत किशोर ट्विटर पर एक-दूसरे को फॉलो करते हैं लेकिन ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर एक-दूसरे को फॉलो नहीं करते.
डायमंड मॉडल
माना जाता है कि ममता बनर्जी अभिषेक के “डायमंड हार्बर मॉडल” को लेकर भी परेशान हैं, जिसमें डायमंड हार्बर के अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक ही दिन में 53,000 से अधिक लोगों की कोरोना जांच कराना शामिल है.
गंगा सागर मेले से ठीक पहले नगर निकाय चुनाव और मेलों पर दो महीने के लिए पूर्ण प्रतिबंध को लेकर अभिषेक की सार्वजनिक टिप्पणी भी मुख्यमंत्री को अच्छी नहीं लगी.
सूत्रों के मुताबिक वो कई मामलों को लेकर अभिषेक बनर्जी और प्रशांत किशोर से नाराज़ हैं.
एक राज्यसभा सदस्य ने बताया कि प्रशांत किशोर का विधानसभा चुनाव में जीत का अधिकतर श्रेय लेना भी उन्हें पंसद नहीं आया. वो अभिषेक बनर्जी को ‘मसीहा जैसी छवि’ के तौर पर पेश करने की टीम किशोर की कोशिशों से भी खफ़ा थीं.
पार्टी के अन्य सूत्र के मुताबिक़ ममता बनर्जी गोवा विधानसभा चुनाव में उतरने की अभिषेक की योजना को लेकर भी बहुत इच्छुक नहीं थीं. ये प्रशांत किशोर के ज़ोर देने पर हुआ है.
उम्मीदवारों को लेकर अनबन
दोनों के बीच दुर्गा पूजा के दौरान हुई अनबन के बारे में बताते हुए तृणमूल कांग्रेस के सूत्र 26 नवंबर को निकाय चुनाव में उम्मीदवार तय करने को लेकर हुई एक बैठक का ज़िक्र करते हैं.
ममता बनर्जी ने अभिषेक बनर्जी और प्रशांत किशोर के बताए कई बदलावों में दखल दिया था. ममता नए लोगों का समर्थन करने वाले सर्वे या आंकड़ों के बजाए पुराने वफ़ादारों पर भरोसा करना चाहती हैं.
एक राज्यसभा सदस्य के मुताबिक़ ”ये टकराव का एक अहम कारण था. लेकिन, उम्मीदवार चुनने को लेकर दो शुक्रवारों (4 और 11 फरवरी) के बीच स्थितियां और ख़राब हो गईं.”
हालांकि, ऐसा लगता है कि तृणमूल कांग्रेस का प्रशांत किशोर के साथ संबंध लगभग ख़त्म हो गया है.
सूत्र ने बताया, ”दीदी ने अभिषेक को आई-पैक के साथ काम करने की ज़िम्मेदारी थी… उन्हें लगा कि आई-पैक तृणमूल की बजाय अभिषेक को बढ़ावा दे रही है. आई-पैक को लेकर अंतिम फ़ैसला होना बाक़ी है लेकिन वो उन्हें अनुमति तभी देंगी जब कंपनी तृणमूल कांग्रेस के लिए काम करे.”
-एजेंसियां
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