मुरादाबाद सपा कार्यालय पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, खाली करने का प्रशासन का नोटिस रद्द

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मुरादाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को समाजवादी पार्टी को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने मुरादाबाद स्थित सपा के जिला कार्यालय को खाली कराने के प्रशासनिक आदेश को रद्द कर दिया। अदालत के इस फैसले के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई।

दरअसल, मुरादाबाद प्रशासन ने 16 सितंबर को सपा कार्यालय का आवंटन निरस्त करते हुए भवन को खाली कराने का आदेश जारी किया था। नोटिस में कहा गया था कि यह भवन नजूल भूमि पर बना है, जो नगर निगम के प्रबंधन क्षेत्र में आती है। प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि नोटिस की अवधि पूरी होने के बाद निगम की टीम भवन पर कब्जा लेगी। इससे पहले 30 जुलाई को भी सपा जिलाध्यक्ष को इसी संबंध में नोटिस जारी किया गया था।

सपा जिलाध्यक्ष ने जवाब में कहा था कि पार्टी नियमित रूप से किराया जमा कर रही है और कार्यालय पर उनका कब्जा पूरी तरह वैध है। बावजूद इसके, प्रशासन ने शासनादेश का हवाला देते हुए बताया था कि किसी भवन का आवंटन अधिकतम 15 वर्ष के लिए मान्य होता है, जबकि सपा कार्यालय को 30 वर्ष से अधिक समय बीत चुका है। इसी आधार पर आवंटन निरस्त किया गया था।

पार्टी ने इस कार्रवाई को “भेदभावपूर्ण और राजनीतिक रूप से प्रेरित” बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सपा की ओर से कहा गया कि किराया और अन्य देनदारियां पूरी तरह अद्यतन हैं, फिर भी केवल राजनीतिक कारणों से कार्यालय खाली कराने का आदेश दिया गया। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने प्रशासन का आदेश रद्द करते हुए कहा कि नोटिस प्रक्रिया में आवश्यक तथ्यों पर पर्याप्त विचार नहीं किया गया था।

‘कानूनी रूप से आवंटित थी कोठी’

सपा का कहना है कि कोठी नंबर-4 नजूल भूमि पर स्थित है, जिसका स्वामित्व राज्य सरकार के पास है, जबकि इसका रखरखाव नगर निगम करता है। पार्टी का दावा है कि 1990 के दशक में यह कोठी नियमपूर्वक मुलायम सिंह यादव को आवंटित की गई थी और तब से यह सपा के संगठनात्मक कार्यों का केंद्र रही है। लगभग 953 वर्गमीटर क्षेत्रफल में फैली इस कोठी में चार कमरे, बड़ा लान, पार्किंग और खुला क्षेत्र शामिल है।

जश्न में डूबे कार्यकर्ता

हाईकोर्ट के फैसले के बाद सपा कार्यालय में जश्न का माहौल बन गया। कार्यकर्ताओं ने मिठाई बांटी और नारे लगाए। सपा जिलाध्यक्ष जयवीर यादव ने कहा, “यह न्याय की जीत है और प्रशासन की जल्दबाजी पर अदालत की सख्ती ने सच्चाई उजागर कर दी। कोठी नंबर-4 हमारी राजनीतिक विरासत का हिस्सा है और हमेशा रहेगी।”