Agra News: रोड के निर्माण के चलते बिखरी पड़ी गिट्टी से स्कूटी फिसलने से कोल्ड स्टोर संचालक की बेटी की मौत

स्थानीय समाचार

आगरा। शुक्रवार की रात पोइया घाट मार्ग पर हुआ हादसा सिर्फ एक मासूम जान का जाना नहीं, बल्कि उस सरकारी उदासीनता की कीमत है, जो आगरा की सड़कों को कब्रगाह बना रही है। गंगेगौरी बाग, बल्केश्वर निवासी कोल्ड स्टोरेज स्वामी दिलीप अग्रवाल की 16 वर्षीय बेटी सिद्धि अग्रवाल की मौत उसी सड़क पर हुई, जिसे लोक निर्माण विभाग ने महीनों पहले चौड़ा करने के नाम पर खोदवा दिया था और यह तब से उसी हालत में अधूरी पड़ी है।

शुक्रवार रात सिद्धि अपनी छोटी बहन के साथ स्कूटी से घर की ओर लौट रही थी। श्रीराम फार्म हाउस के पास जैसे ही सामने से ट्रैक्टर आया, सिद्धि ने स्कूटी को किनारे किया, लेकिन रोड के दोनों ओर खुदे गड्ढों की गहराई का अंदाज़ा उसे ट्रैक्टर की तेज़ लाइट में नहीं हो पाया और स्कूटी अनियंत्रित होकर गिर गई। सिद्धि सड़क पर गिरी, तभी उसी समय वहां से गुजरी ट्रैक्टर-ट्रॉली का एक पहिया उसके सिर के ऊपर से निकल गया। मौके पर ही उसकी मौत हो गई।

इस दौरान छोटी बहन सदमे में थी। आंखों के सामने बड़ी बहन की लाश पड़ी थी और वह खुद हतप्रभ बस रोए जा रही थी। मौके पर पहुंचे एक राहगीर ने उसे संभालने की कोशिश की, और पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस पहुंची, औपचारिकताएं पूरी कीं, लेकिन जो होना था, हो चुका था। एक परिवार की दुनिया उजड़ चुकी थी।

दयालबाग-पोइया घाट मार्ग पर लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़क चौड़ीकरण के नाम पर पिछले कई महीनों से सड़क के दोनों ओर लगभग 8-10 इंच गहराई में खुदाई कर दी गई है। यह खुदाई आज तक अधूरी है। कछुआ गति से काम चल रहा है। इससे रास्ता इतना संकरा और खतरनाक हो गया है कि जब सामने से दो वाहन आते हैं, तो एक का पहिया ज़रूर नीचे उतरता है।

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सिद्धि भी इसी मौत के गड्ढे का शिकार हुई। ट्रैक्टर की तेज़ हेडलाइट में सिद्धि ने सड़क से छह-आठ इंच नीचे खुदाई में स्कूटी तो उतार ली, लेकिन वहीं पर बिखरी पड़ी गिट्टियों से उसकी स्कूटी स्कूटी फिसल गई। हादसे की जगह का हाल ऐसा था कि देखने वालों की रूह कांप गई।

इस सवालों का जबाब कौन देगा

-जब चौड़ा करने के लिए सड़क खोदी गई थी, तो उसे महीनों तक लटकाये क्यों रखा गया। सड़क की व्यस्तता को देखते हुए क्या इस काम को तत्काल नहीं किया जाना चाहिए था?

-क्या ठेकेदार को समयसीमा के बजाय मनमाने तरीके से काम करने का ठेका मिला है?

-क्यों पीडब्ल्यू अधिकारियों ने इतने महीनों तक इस अधूरे काम की सुध नहीं ली?

-क्या पुलिस और स्थानीय प्रशासन की नजरें इस जानलेवा हालात पर नहीं पड़ीं?

क्या प्रशासन जागेगा?

पोइया घाट मार्ग कोई सुनसान इलाका नहीं है। यहां दिन-रात सैकड़ों वाहन चलते हैं। यह दयालबाग, कमला नगर, बल्केश्वर जैसे घनी आबादी वाले इलाकों को जोड़ता है। इसके बावजूद महीनों से यह रोड मौत का जाल बनी हुई है।

अब जब एक छात्रा की जान गई है, तब क्या प्रशासन जागेगा? क्या पीडब्ल्यू के इंजीनियरों और संबंधित ठेकेदार पर कोई कार्रवाई होगी? सिद्धि की मौत के बाद अब यह जरूरी हो गया है कि जिम्मेदारों की पहचान कर मामला दर्ज हो। लोगों का कहना है कि प्रशासन को अब तो चेत जाना चाहिए। इस मार्ग को प्राथमिकता से दुरुस्त किया जाए क्योंकि मानसून सिर पर है और मानसून सक्रिय होने के बाद ठेकेदार को एक बार फिर बहाना मिल जाएगा कि बारिश में सड़क कैसे बन सकती है।