जानिए! कैसे महाकुंभ में ‘सनातन’ आरतियों से युवाओं को जोड़ रहा है अदाणी ग्रुप..

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– 100 साल से भी ज्यादा पुरानी आरतियों को लोगों तक मुफ्त पहुंचा रहा है अदाणी समूह

– अदाणी समूह गीताप्रेस से छपी आरती संग्रह की 1 करोड़ प्रतियों का कर रहा है वितरण

– आरती संग्रह का संकलन सनातन साहित्य के पुरोधा और स्वतंत्रता सेनानी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने किया

– साल 1953 में छपा था आरती संग्रह का पहला संस्करण

– अब तक छप चुके हैं 97 संस्करण

– अब ऑनलाइन भी लोकप्रिय हो रहा है सनातन साहित्य

सनातन संस्कृति के आकर्षण में बंधे दुनियाभर से श्रद्धालु महाकुंभ की ओर आकर्षित हो रहे हैं। अब तक महाकुंभ में पवित्र स्नान करने वालों की संख्या करोड़ों में पहुंच चकी है। इस मौके पर न सिर्फ बुजुर्ग बल्कि युवा भी भारी संख्या में महाकुंभ नगरी प्रयागराज का रुख कर रहा है। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में अदाणी समूह ने खास पहल की हैं।

जनमानस को सनातन संस्कृति से जोड़ने के लिए अदाणी समूह ने गीताप्रेस गोरखपुर से हाथ मिलाया है। अदाणी समूह गीताप्रेस के साथ मिलकर 1 करोड़ आरती संग्रह बांटने का काम कर रहा है।

इसके लिए मेला क्षेत्र और शहर में कई स्टॉल लगाए गए हैं। आरती संग्रह लेने वालों में बड़ी संख्या युवाओं की है। कुछ इसे अपनी रुचि से और कुछ इसे अपने घरों में रखने के लिए ले रहे हैं। मिर्जापुर से आए आलोक कुमार का कहना है कि हम आरतियों को अपने गांव-घर पर सुनकर बड़े हुए हैं, अब इनका संकलन मुफ्त में मिलना सुखद अनुभव है। उनका यह भी कहना है कि यह प्रयास लोगों को सनातन को करीब से समझने का मौका देगा।

इतिहास पुरुषों ने संकलित किया आरती संग्रह

अदाणी समूह के प्रयासों से निशुल्क आरती संग्रह कई मायने में खास है। गीताप्रेस के प्रबंधक डॉ. लालमणि तिवारी का कहना है कि संकलन में संस्कृत और हिंदी दोनों ही भाषाओं में आरतियों को संग्रहित किया गया है। अगर सबसे पुरानी हिंदी आरती की बात की जाए तो वह देश की सबसे लोकप्रिय आरती ‘ओम जय जगदीश हरे’ है। इसे पंडित श्रद्धाराम शर्मा फिल्लौरी ने सन 1875 में लिखा था।

तकरीबन 150 सालों से यह आरती पूजा-अनुष्ठान का एक अभिन्न हिस्सा बनी हुई है। इससे मिलती जुलती आरती को आरती संग्रह के संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार ने लिखा। लालमणि तिवारी का कहना है कि अदाणी समूह जिस आरती संग्रह का वितरण कर रहा है उसका पहला संस्करण 1953 में आया था और अब तक इसके 97 संस्करण छप चुके हैं।

गांधी के मित्र, अंग्रेजों के विरोधी हनुमान प्रसाद ‘भाई जी’

आरती संग्रह के संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार महात्मा गांधी के काफी करीबी थे और उनके आग्रह पर महात्मा गांधी गीताप्रेस के लिए लिखने का काम भी करते थे। हनुमान प्रसाद पोद्दार ने स्वतंत्रता संग्राम में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और जेल भी गए। है। बाद में हनुमान प्रसाद पोद्दार ने ही गीताप्रेस को शिखर पर पहुंचाने का काम किया। मुंबई में व्यापार करने के दौरान हनुमान प्रसाद पोद्दार क्रन्तिकारी लोकमान्य तिलक, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी, पंडित मदन मोहन मालवीय, सरदार बल्लभ भाई पटेल, दामोदर सावरकर, संगीताचार्य विष्णु दिगंबर आदि के संपर्क में आए। सभी हनुमान प्रसाद को प्रेम से भाईजी पुकारते थे इसलिए हनुमान प्रसाद के नाम में भाईजी शब्द जुड़ गया।

अब ऑनलाइन भी पढ़ें सनातन साहित्य

गीताप्रेस भले ही 100 से ज्यादा पुराना प्रकाशक है लेकिन वक्त के साथ उसने भी करवट बदली है। अब गीताप्रेस की बहुत सी किताबें ऑनलाइन गीताप्रेस की वेबसाइट पर मुफ्त पढ़ी जा सकती हैं। गीताप्रेस से जुड़े अधिकारी ने बताया कि तकरीबन 15 देशों के लोग गीताप्रेस की वेबसाइट से जुड़े हुए हैं और लगातार सनातन साहित्य पढ़ते रहते हैं।

बता दें कि अदाणी समूह महाकुंभ 2025 में सेवा का कार्य करने में जुटा है। इसके लिए अदाणी समूह ने इस्कॉन से हाथ मिलाया है और दोनों मिलकर प्रतिदिन 1 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालुओं को महाप्रसाद वितरित कर रहे हैं। इसके अलावा गीताप्रेस गोरखपुर के साथ मिलकर 1 करोड़ आरती संग्रह वितरित करने का लक्ष्य भी रखा गया है।

-up18News