शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन अडानी मामले और संभल बवाल पर संसद में फिर हंगामा, कामकाज ठप

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नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में सियासी गर्मी को साफ-साफ महसूस किया जा सकता है। संसद में अडानी के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग और संभल हिंसा सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही बाधित रही। लोकसभा और राज्यसभा की बैठक एक-एक बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन आज विपक्ष के हंगामे के कारण दोनों सदनों में शून्यकाल व प्रश्नकाल की कार्यवाही बाधित रही।

लोकसभा की कार्यवाही सुबह शुरू होने के साथ ही कांग्रेस के सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो गए और अडानी समूह से जुड़े मामले को उठाने की कोशिश करने लगे। वहीं समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा की घटना को उठाने का प्रयास किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच प्रश्नकाल शुरू कराया। इस बीच, कांग्रेस और सपा के कई सदस्य आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी करने लगे।

बिड़ला ने आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर जाने और प्रश्नकाल चलने देने की अपील की। उन्होंने बीजेपी के सदस्य अरुण गोविल का उल्लेख करते हुए कहा कि वह पहली बार प्रश्नकाल में प्रश्न पूछ रहे हैं, ऐसे में सदन की कार्यवाही चलने दी जाए। हालांकि, हंगामा नहीं थमा और विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी जारी रही।

लोकसभा अध्यक्ष ने नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों से कहा, प्रश्नकाल महत्वपूर्ण समय है, सबका समय है। आप प्रश्नकाल चलने दें, आपको हर मुद्दे पर चर्चा करने का अवसर दिया जाएगा। हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ने 11 बजकर पांच मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे निचले सदन की बैठक फिर शुरू हुई तो वही नजारा देखने को मिला। विपक्षी सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। शोर-शराबा जारी रहने पर 12 बजकर 10 मिनट पर लोकसभा की बैठक दिनभर के स्थगित कर दी।

उधर, राज्यसभा में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि उन्हें अडानी, मणिपुर हिंसा, संभल हिंसा और दिल्ली में अपराध के बढ़ते मामलों पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत कुल 18 नोटिस मिले हैं। उन्होंने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने राजधानी दिल्ली में अपराध के बढ़ते मामलों पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था। सभापति धनखड़ ने सभी नोटिस अस्वीकार करते हुए कहा कि सदस्य इन मुद्दों को अन्य प्रावधानों के तहत उठा सकते हैं।

इसके तत्काल बाद कांग्रेस सहित विपक्ष के अन्य सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया। इससे पहले कि हंगामा और तेज होता, धनखड़ ने 11 बजकर 11 मिनट पर सदन की कार्यवाही 11 बजकर 30 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी। दोबारा, जब सदन की कार्यवाही आरंभ हुई तो सभापति ने सदस्यों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने स्थानों पर बैठे रहें और व्यवस्था बनाए रखें ताकि सूचीबद्ध कामकाज निपटाया जा सके। हालांकि, इसके बावजूद कुछ सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर नारेबाजी और हंगामा करते रहे।इसके बाद धनखड़ ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।


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