नारी ममता की मूरत है तो रण चंडी की भाषा है, भारत की हर नारी भारत माता की परिभाषा है..
समय बदला,सोच बदली, लेकिन कवियों का काव्य पाठ आज भी समाज को दिखाता है आईनाः डॉ विष्णु सक्सेना
काव्य पाठ में कवियों ने नारी शक्ति और सुरक्षा पर प्रस्तुत किया काव्य पाठ
आगरा। काव्य दीपोत्सव के मंच पर बैठे देश के नामचीन कवि हर चेहरे पर मुस्कुराहट कहीं कोई तनाव नहीं। बार-बार ठहाके की गूंजती आवाज । ताली बजाने को मजबूर होते हाथ ऐसा ही नजारा रविवार साहित्य निधि एवं ओपन कला मंच के काव्य दीप उत्सव में देखने को मिला। यश भारती से पुरस्कृत अंतरराष्ट्रीय कवि डॉ विष्णु सक्सेना की काव्य रचनाओं को सुनने के लिए श्रोता आखरी क्षण तक आतुर रहे। नारी ममता की मूरत है तो रणचंडी की भाषा है, भारत की हर नारी भारत माता की परिभाषा है। काव्य रचना के इन शब्दों को सुनकर काव्य मंच का सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
होटल भवना क्लार्क इन में आयोजित एक शाम नारी सम्मान एवं सुरक्षा के नाम कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यादायिनी मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ मंजू भदोरिया, सुरेश चंद्र गर्ग, सुनील शर्मा ने किया।
कार्यक्रम के सूत्रधार मोहित सक्सेना एवं कार्यक्रम संयोजक हीरेंद्र नरवार हृदय के नेतृत्व में विभिन्न जिलों से आए कवियों ने अपने काव्य पाठ के माध्यम से श्रोताओं की जमकर तालियां बटोरीं। कवि मोहित सक्सेना ने नारी शक्ति और सुरक्षा पर अपना काव्य पाठ प्रस्तुत करते हुए कहा नारी ममता की मूरत है तो रणचंडी की भाषा है।
कवि डॉ विष्णु सक्सेना ने अपने काव्य पाठ के माध्यम से श्रोताओं का दिल जीत लिया। गाजियाबाद से आए डॉक्टर विष्णु सक्सेना ने कहा रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं।
घिरोर मैनपुरी से आए कवि सतीश मधुप ने ये धरा अब राजधानी, बन गई शैतान की…, अंतर्राष्ट्रीय हास्य कवि पवन आगरी ने जान की रक्षा स्वयं ही, कीजिए हे जानकी.. उज्जैन से आए दिनेश दिग्गज ने गूगल का जीपीएस रास्ते बताएगा, चलने के तरीके संस्कार से मिलेंगे.. रचना का पाठ किया।
काव्य पाठ के मंच से उस समय हंसी कि बहार गुलजार हो गई जब टूंडला फिरोजाबाद से आए हास्य कवि लटूरी लट्ठ ने अपने काव्य प्रस्तुति के माध्यम से वर्तमान परिदृश्य पर प्रहार किया। उन्होंने कहा मैंने जो भी चीज खरीदी, जालिम विकट जमाने से। नौकर ने भी लाकर दे दी, बहुत बड़े तहखाने से। कवि पदम गौतम ने दीवाली पर जाओ मिलने अपने लोगों से, वर्षों पहले रूठे अपने, भाई से मिल लेना, कवि विपिन शर्मा पत्रकार ने प्रेम की जो कथा थी व्यथा बन गई, प्रीत में हम छले के छले रह गए..
कवि डॉ विष्णु सक्सेना ने कहा समय बदला है सोच बदली है लेकिन कवियों का काव्य पाठ आज भी समाज को आइना दिखा रहा है।
इस अवसर पर अजय शर्मा, शैलेंद्र नरवार, अनुज बंसल, विजेंद्र रायजादा, सुरेंद्र बंसल आदि उपस्थित रहे।