युवाओं को साइबर खतरों से बचाने के लिए AU कॉर्पोरेट एडवाइजरी एंड लीगल सर्विसेज (AUCL) ने WHT NOW के साथ साझेदारी की

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मुंबई (अनिल बेदाग): देश में कॉर्पोरेट एवं कानूनी सलाह के क्षेत्र की अग्रणी संस्था के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले, AU कॉर्पोरेट एडवाइजरी एंड लीगल सर्विसेज (AUCL) ने भारत में साइबर-बुलीइंग के ख़तरे का सामना कर रहे हर व्यक्ति की अनमोल ज़िंदगी बचाने और उसकी हिफाज़त करने के लिए एक नई पहल की शुरुआत की है। AUCL ने नई राह दिखाने वाली इस पहल के लिए, आज साइबर उत्पीड़न और साइबर-बुलीइंग के खिलाफ युवाओं की आवाज- WHT NOW के साथ साझेदारी की घोषणा की है।

आज के डिजिटल जमाने में टेक्नोलॉजी में हो रही प्रगति के साथ लोगों के बीच आपसी संपर्क, बातचीत करने और जानकारी साझा करने के तरीके में बड़े पैमाने पर बदलाव आया है। हालाँकि, टेक्नोलॉजी में इस जबरदस्त प्रगति ने साइबर-बुलीइंग, साइबर अपराध और साइबर उत्पीड़न जैसी नई चुनौतियों के लिए भी दरवाजे खोल दिए हैं, जो भारत के साथ-साथ दुनिया भर में एक बड़ी सामाजिक चुनौती के तौर पर उभरकर सामने आ रहे हैं। भारत जैसे देश में ये समस्याएँ विशेष रूप से गंभीर हैं, जहाँ इंटरनेट के उपयोग में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। परंतु सामने आने वाले ऑनलाइन ख़तरों की तुलना में इसे नियमों के दायरे में लाने वाली व्यवस्था और जागरूकता काफी पीछे है।

इस मौके पर AU कॉर्पोरेट एडवाइजरी एंड लीगल सर्विसेज (AUCL) के संस्थापक, अक्षत खेतान ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “भारत धीरे-धीरे डिजिटल रूप से सशक्त समाज बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, इसलिए साइबर-बुलीइंग, साइबर अपराध और साइबर उत्पीड़न की वजह से सामने आने वाले ख़तरों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। नीति निर्माताओं, शिक्षकों, कानून लागू करने वाली संस्थाओं और आम लोगों को इन समस्याओं पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। भारत इस मुद्दे के सभी पहलुओं को शामिल करने वाला कानूनी ढांचा तैयार करके, लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाकर और कानून लागू करने वाली संस्थाओं को मजबूत करके इन ऑनलाइन खतरों के हानिकारक प्रभावों को कम करने की शुरुआत कर सकता है, साथ ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि इंटरनेट अपने सभी उपयोगकर्ताओं के लिए पूरी तरह सुरक्षित बना रहे।”

आज के युवाओं के सामने आने वाली साइबर-बुलीइंग/उत्पीड़न की समस्याओं को उजागर करते हुए, WHT NOW की संस्थापक एवं समाजसेवी, नीति गोयल ने कहा, “युवाओं की ऑनलाइन कम्युनिटी को सुरक्षित और सहयोगी बनना ही हमारा मिशन है, जहाँ वे साइबर-बुलीइंग और साइबर उत्पीड़न के डर के बिना एक-दूसरे के साथ संपर्क कर सकें। हम साइबर उत्पीड़न के खिलाफ जन-जागरूकता कार्यक्रमों के ज़रिये युवाओं को मंच उपलब्ध कराकर इस लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं। हमने साइबर जोखिम से जुड़ी समस्याओं के लिए कारगर नीतियों और प्रक्रियाओं को विकसित करने के लिए AU कॉर्पोरेट एडवाइजरी एंड लीगल सर्विसेज (AUCL) के साथ साझेदारी की है, ताकि पीड़ितों को सभी आवश्यक सहायता प्रदान करके उन्हें सहारा दिया जा सके।”

नीति गोयल एक जानी-मानी रेस्टोरेंट व्यवसायी और समाजसेवी हैं, जो समाज की भलाई से जुड़े मुद्दों के समर्थन में सबसे आगे रही हैं। उन्होंने देश के युवाओं को साइबर उत्पीड़न का सामना करने में सक्षम बनाने के लिए ‘WHT NOW’ जैसी पहल की शुरुआत की है। शिक्षा जगत की मशहूर हस्ती और WHT NOW की सह-संस्थापक, डॉ. निवेदिता श्रेयांस ने इस आंदोलन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दोनों ने साथ मिलकर साइबर-बुलीइंग के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी से निपटने के लिए एक सहायता प्रणाली बनाई है, जो पीड़ितों को कानूनी सहायता, मानसिक सेहत के लिए जरूरी संसाधन के साथ-साथ युवाओं को किसी डर या आलोचना के बिना मदद प्राप्त करने के लिए एक मंच प्रदान करती है। एकजुट होकर की गई उनकी कोशिशों की वजह से ही भारत में ऑनलाइन दुर्व्यवहार के खिलाफ युवाओं की सबसे बड़ी मुहिम को आगे बढ़ाना संभव हो पाया है।

पीड़ितों को कानूनी सहायता और मदद उपलब्ध कराने के अलावा, AUCL और WHT NOW पीड़ितों को मुश्किल हालात से उबरने के लिए यूथ मेन्टॉर की सेवाएँ मुहैया कराएंगे, साइबर अपराध पुलिस टीम के साथ मिलकर उनकी मदद करेंगे, कानूनी सलाह एवं सहायता प्रदान करेंगे, साथ ही देश भर के कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में बड़े पैमाने पर जन जागरूकता कार्यक्रमों तथा सामाजिक अभियानों का संचालन करेंगे। इसके अलावा, समाज को इस समस्या के बारे में जागरूक बनाने के लिए सेमिनार, सम्मेलन, पैनल चर्चा, केस स्टडी विश्लेषण, रोड शो, वॉकथॉन, कैंडल मार्च, नाटक, कला प्रदर्शनी, वाद-विवाद जैसी गतिविधियों का भी आयोजन किया जाएगा।

AUCL और WHT NOW ने साथ मिलकर युवा जनसंपर्क कार्यक्रमों के ज़रिये साइबर-बुलीइंग की बुराई को समाप्त करने, सरकारी नीतियों में सुधार लाने, इसे शैक्षिक पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बनाने तथा अभिभावक-शिक्षक संपर्क जैसी पहलों के माध्यम से अभिभावकों को इस समस्या के बारे में जागरूक बनाने का लक्ष्य रखा है।

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