आगरा में नगर निगम ने एक नई पहल शुरू की है। यह पहला अत्याधुनिक भी है और पुरानी परंपराओं का समावेश भी इस पहल में नजर आएगा। आगरा नगर निगम की ओर से फाउंड्री नगर में एक शवदाह गृह का निर्माण कराया गया है जो पूरी तरह से इको फ्रेंडली है। इस शवदाह गृह का शुभारंभ आगरा महापौर हेमलता दिवाकर और नगर निगम के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से किया।
गो कास्ट से होगा शवों का अंतिम संस्कार:-
आगरा नगर निगम ने ग्रीन रिवॉल्यूशन फाउंडेशन के साथ मिलकर इस अत्याधुनिक और पुरानी परंपराओं से लैस शवदाह ग्रह की शुरुआत की है। इस शवदाह गृह की खास बात यह है कि यहां पर अंतिम संस्कार के लिए लाये जाने वाले शवों का अंतिम संस्कार पूरी तरह से प्राकृतिक तरीके से होगा। शवों का अंतिम संस्कार गो कास्ट से किया जाएगा यानी गाय के गोबर से बनी लकड़ियों से उनका अंतिम संस्कार होगा।
पेड़ों का रुकेगा कटान,दूषित होने से बचेगा पर्यावरण और विद्युत की खपत भी होगी कम:-
आगरा महापौर हेमलता दिवाकर का कहना है कि जब वह यहां पहली बार इस क्षेत्र में आई थी तो यहां के लोगों ने एक शवदाह गृह की मांग की थी लेकिन लोगों की शर्त थी कि यह घनी आबादी क्षेत्र है शवदाह गृह का निर्माण इस तकनीक से हो कि यहां पर पॉल्यूशन ना हो। इसी को ध्यान में रखते हुए ग्रीन रिवॉल्यूशन फाउंडेशन संस्था के सहयोग से ऐसे शवदाह गृह का निर्माण कराया गया है जहां पर सिर्फ गो कास्ट से ही शवों का अंतिम संस्कार होगा। इस पहल से एक तरफ जहां पेड़ों का कटान रूकेगा क्योंकि एक शव के लिए कम से कम चार पेड़ों की लकड़ियों चाहिए दूसरी ओर प्रदूषण नहीं होगा वही विद्युत की खपत भी बचेगी।
कई शहरों में चल रहा है इस तरह का प्रोजेक्ट:-
ग्रीन रिवॉल्यूशन फाउंडेशन के पदाधिकारी ने बताया कि उनकी संस्था की इस तरह के प्रोजेक्ट कई शहरों और राज्यों में चल रहे हैं उनका मुख्य उद्देश्य है कि पेड़ों का कटान रोका जाए। पर्यावरण को दूषित होने से बचाया जाए और विद्युत की खपत को भी काम किया जाए। शवों के अंतिम संस्कार भी प्राकृतिक तरीके से हो क्योंकि अंतिम संस्कार में अधिकतर लोग कंडो का इस्तेमाल करते हैं जो गाय के गोबर से बनते हैं इसीलिए यहां पर गोबर से बनी हुई लकड़ियों का उपयोग किया जायेगा।
रिपोर्ट- सतेंद्र कुमार
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