रक्षाबंधन बैंक बंदी के कारण नहीं हो सकी बैंक खाते से रकम ट्रांसफर
दिल्ली पुलिस और सीबीआई के नाम से किया भयभीत, मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग ट्रैफिकिंग, आइडेंटिटी थेफ्ट के केस के नाम पर नोटिस भी किए जारी
आगरा: साइबर अपराधियों के हौसले दिन प्रति दिन बुलंद होते जा रहे है और उनके द्वारा नित्य नए तरीकों से साइबर अपराध को अंजाम दिया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला आगरा में सामने आया है जिसमें साइबर अपराधियों ने आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता को 48 घंटे डिजिटल अरेस्ट में रखा। यही नहीं साइबर अपराधियों ने सीबीआई से लेकर दिल्ली पुलिस तक का नाम लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता को 72 घंटे तक उलझाये रखा। वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल कुमार गोयल आगरा बार एसोसिऐशन के पूर्व अध्यक्ष व महासचिव रह चुके है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 18 अगस्त को सुबह लगभग 9.30 पर एक वीडियो कॉल फोन नंबर 9136954967 से आया, जिसमें कोई टेलीफोन रेगुलेटरी इंडिया से रमेश वर्मा बोल रहे थे उन्होंने अनिल गोयल से कहा कि आपका मोबाइल नंबर तुरंत डिस्कनेक्ट किया जा रहा है। क्योंकि आपकी आईडी से कोई फोन नंबर 6768532494 खरीदा गया है और उससे उनके द्वारा सेक्स स्कैंडल और अश्लील संदेशो का प्रचार किया गया है । इसलिए आप अपनी आई डी आधार कार्ड भेजिए। अधिवक्ता ने आधार कार्ड की कॉपी कॉल करने वाले को शेयर कर दी।
उसके बाद उसने कहा कि यदि आप चाहते है कि आपका फोन डिस्कनेक्ट नहीं हो तो आप ऑनलाइन कंप्लेंट कर दें और अपनी बात कह दे। तब उसने कहा कि वह 9 नंबर एक्सटेंशन पर लिंक कर रहे है जहां आप अपनी ऑनलाइन कंप्लेंट दर्ज कर दे। तब उनकी बात एक पुलिस अधिकारी की दिल्ली पुलिस की यूनिफॉर्म पहने सुशील कुमार गौतम से हुई जिसने अपने आप को नेहरू प्लेस दिल्ली से होना बताया और उनकी ऑनलाइन कंप्लेंट दर्ज की। वीडियो कॉल पर भी दिल्ली पुलिस का लोगो आ रहा था।
फिर लगभग 1 घंटे बाद उस कथित पुलिस अधिकारी का वीडियो कॉल आया और उसने अधिवक्ता को बताया कि आपके खिलाफ तो एक मनीलॉण्ड्रिग का केस भी दर्ज है जिसमें किसी संजीव कुमार से आपके एचडीएफसी बैंक खाते में लगभग 68 लाख रूपये ट्रान्सफर आया है। इसकी जांच भी की जा रही है और अधिवक्ता के कॉल को सीबीआई को लिंक कर दिया। जहां सीबीआई के डीसीपी ने उस कथित पुलिस अधिकारी गौतम को डांटते हुए कहा कि आप मेरे पास इनको अरेस्ट कर के क्यों नहीं लाए ? आप इनकी मदद कर रहे है और जांच को गंभीरता से नहीं ले रहे है। इनकी जांच चल रही है कि इनके अकाउंट में आया 68 लाख रुपया कहा गया है, इन्होंने किस किस बैंक में उसे ट्रांसफर किया है और कितना बैलेंस बचा है।
लेकिन उस कथित गौतम ने उस सीबीआई के डीसीपी से कहा की वो इनको इंटरोगेट करेंगे और जांच करेंगे। इसी बीच अधिवक्ता को नई दिल्ली क्राइम ब्रांच और सीबीआई की तरफ से लेटर भी दिए गए जिनमें उनके विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग का केस बताया गया था। एक लेटर यह भी था कि यह जांच बिल्कुल कॉन्फिडेंशियल है और अधिवक्ता इसके संबध में किसी से चर्चा भी नहीं करेंगे और अगले 24 घंटे तक उनकी निगरानी में रहेंगे और उनको अपनी लोकेशन शेयर करनी होगी।
रात के 9 बजे तक अधिवक्ता ने अपनी सभी लोकेशन उनको शेयर की और अपने केनरा बैंक के अकाउंट की डिटेल भी भेज दी। उस अकाउंट में 87000/- का बैलेंस था।
19 अगस्त रक्षाबंधन का दिन था और सुबह 6 बजे से शातिर अपराधियों की गिरफ्त में आए अधिवक्ता ने अपनी लोकेशन उनको भेजना प्रारंभ कर दिया। सुबह 10 बजे फिर कथित शातिर पुलिस अधिकारी ने उनको वीडियो कॉल से कहा गया कि आपके खाते में जो पैसा है उसे एकाउन्ट आडिटिंग में ट्रान्सफर कर दें जिससे उसकी डिजीटल स्क्रुटनी हो सकें। लेकिन उस दिन रक्षाबन्धन पर्व के चलते पैसा ट्रान्सफर नही हो सका जिस पर कथित डीजीपी का फोन आया कि आपको 24 घण्टे फिर निगरानी में रखा जायेगा।
19 अगस्त की रात को अधिवक्ता को उनके दामाद ने बताया कि आजकल इस तरह के फ्रॉड साइबर अपराधियों द्वारा किए जा रहे है तो अधिवक्ता सतर्क हो गए और 20 अगस्त को सुबह जब अधिवक्ता के द्वारा कथित डीजीपी व अन्य लोगों का नम्बर मांगा गया तो शातिर पुलिस अधिकारी द्वारा अधिवक्त्ता को कथित सीबीआई के डीजीपी के सामने पेश किया गया और उन्हें अकाउंट से रकम ट्रांसफर करने के लिए दबाव डाला गया लेकिन अधिवक्ता ने खाते से रकम ट्रांसफर करने से साफ मना कर दिया तो अधिवक्ता को धमकी दी गई कि आपको व आपकी धर्मपत्नी को आधे घण्टे के भीतर अरेस्ट कर लिया जायेगा अथवा स्थानीय पुलिस आकर आपकों अरेस्ट कर लेगी।
बाद में अधिवक्ता में कोर्ट में आए और अपने साथियों से इसकी चर्चा की। अगर रक्षाबंधन का बैंक अवकाश न होता तो अधिवक्ता इस साइबर फ्रॉड का शिकार हो गए होते।लेकिन इस दौरान साइबर अपराधियों ने वरिष्ठ अधिवक्ता को लगभग 48 घण्टे तक डिजीटल अरेस्ट रखा।
इस घटना के संबध में आगरा के पुलिस कमिश्नर पुलिस को लिखित में शिकायत की गई है और साइबर अपराधियों के बढ़ते हौसलों से दीवानी परिसर में आक्रोश का माहौल है और अधिवक्ता आगे की रणनीति बनाने में जुटे हुए है।