औरंगाबाद: कोविड-19 की वजह से कई लोग मुश्किल परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। एक ओर जहां कइयों के पास खाने के लिए खाना नहीं है तो वहीं दूसरी ओर कइयों के सिर से छत भी छिन गई है। इसके साथ ही लोगों की नौकरियां भी जा रही हैं, जिस वजह से इस दौर में उनके लिए सर्वाइव कर पाना काफी मुश्किल हो रहा है। भले ही अधिकारियों द्वारा सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, लेकिन फिर भी लोग खाली पेट सोने को मजबूर हैं। प्रमुख रिपोर्टों के अनुसार इस वायरक की बजाए भूख के कारण अधिक लोगों की मौत होगी। क्या ये आपको डरा देने वाली खबर नहीं लगती?
इस सबके बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पूर्व नगरसेवक और औरंगाबाद (महाराष्ट्र) जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक श्री अभिजीत देशमुख लोगों के लिए एक मसीहा बनकर आए, जिन्होंने इस महामारी के दौरान कईयों की मदद की। उन्होंने जरूरतमंदों के लिए एक अभिभावक के रूप में काम किया है और इस प्रतिकूल समय में अपनी जिम्मेदारी समझते हुए जरूरतमंद लोगों की मदद की।
व्यक्तिगतरुप से अभिजीत को लगता है कि लॉकडाउन, दिहाड़ी मजदूरों के लिए बहुत ही कठिन समय रहा है। बिना किसी आय के स्रोत के उन्हें बहुत ही खराब परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। ऐसे में किसी को तो नायक बनने की जरूरत थी, जो उनकी न्यूनतम आवश्कताओं को पूरा कर सके। हालांकि, इस कठिन वक्त में विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों (NGO) इन लोगों की मदद के लिए आगे आईं। उन्होंने भी अपने समर्थकों के साथ जरूरतमंद लोगों को खाना पहुंचाना शुरू कर दिया।
अभिजीत और उनके समर्थकों ने मिलकर जरूरतमंद लोगों तक 5000 फूड पार्सल महाराष्ट्र के औरंगाबाद में अलग-अलग जगहों पर पहुंचाए। कोविड-19 के मुश्किल वक्त में उन्होंने रोजाना कम से कम 72 लोगों का पेट भरा।
अभिजीत ने कहा, ”सबसे खराब स्थिति वो थी जब लोगों के पास खाने के लिए खाना नहीं था। इस वजह से मैंने लोगों की मदद करने का फैसला किया और अपने विशेषाधिकार का उपयोग किया।
मार्च में लॉकडाउन के दौरान ही खाना वितरण करने का सिलसिला शुरू कर दिया गया था। मेरी टीम ने हर एक दिन 1000 फूड पार्सल के वितरण से शुरुआत की। जल्द ही इन फूड पार्सल की डिमांड देशभर में होने लगी और हमें एहसास हुआ कि बहुत सारे लोगों को खाने की जरूरत है। इससे हमें प्रेरणा मिली। कई सर्वे की मदद से हमने एक प्लान तैयार किया और शहर की 3 अलग-अलग लॉकेशन पर हमने पैकिंग और कुकिंग का काम शुरू किया। हर रोज़ एक नया मेन्यू डिजाइन किया जाता था। लोगों की मदद करना मुझे अच्छा लगता है और यही मेरा इरादा था।”
हालांकि, वह अपनी टीम को लेकर भी चिंतित थे। इस वजह से उनकी टीम ने इस काम के दौरान WHO की सभी गाइडलाइन्स को सख्ती से फॉलो किया और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को ध्यान में रखते हुए लोगों तक खाना पहुंचाया। जनता से उन्हें इतनी अच्छी प्रतिक्रिया मिली कि उनकी टीम ने बाद में प्रति दिन 5000 पार्सल देना शुरू कर दिया।
उन्होंने दिखाया कि कठिन परिश्रम और धैर्य से जीवन को बचाया जा सकता है और लोगों का पेट भी भरा जा सकता है।
जितना अधिक आप काम करते हैं, उतना ही आप एक महान आत्मा होने के लाभों को प्राप्त कर सकते हैं। हम अभिजीत और उनकी टीम को शुभकामनाएं देते हैं। दुनिया को उनके जैसे और लोगों की जरूरत है।
-up18 News
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