अनिल अंबानी की ज्यादातर कंपनियां इस समय दिवालियापन की प्रक्रिया से गुजर रही हैं। अब अनिल अंबानी की एक और कंपनी को झटका लगा है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को 1100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति बेचने, अलग करने स्थानांतरित करने या उस पर कब्ज़ा करने से रोक दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह फैसला अनिल अंबानी की फर्म के खिलाफ चीनी कंपनी शंघाई इलेक्ट्रिक ग्रुप कंपनी लिमिटेड को दिए गए मध्यस्थता के संबंध में है।
अदालत ने पिछले फैसले को पलट दिया था, जिसमें शंघाई इलेक्ट्रिक की याचिका खारिज कर दी गई थी और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को अपनी संपत्ति पर किसी भी तीसरे पक्ष के अधिकार नहीं बनाने का निर्देश दिया था। हालांकि, किसी बैंक या वित्तीय संस्थान को पहले से गिरवी रखी गई संपत्तियां इस प्रतिबंध से मुक्त हैं।
यह फैसला शंघाई इलेक्ट्रिक की आदेश के खिलाफ अपील के जवाब में आया है, जिसमें मध्यस्थता को सुरक्षित करने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था जिसकी राशि करीब 146 मिलियन डॉलर थी।
दिसंबर 2022 में, मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने शंघाई इलेक्ट्रिक को आर इंफ्रा के खिलाफ 122.23 मिलियन डॉलर का पुरस्कार दिया, जिसमें ब्याज, कानूनी लागत और खर्च शामिल हैं। सिंगापुर इंटरनेशनल कमर्शियल कोर्ट ने जनवरी 2023 में उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें अंबानी की फर्म को पूरी राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।
यह विवाद शंघाई इलेक्ट्रिक और रिलायन्स इंफ्रा प्रोजेक्ट्स (यूके) के बीच उपकरण आपूर्ति और सेवाओं के लिए 2008 के अनुबंध से उत्पन्न हुआ है, जो रिलायंस इंफ्रा की एक सहायक कंपनी है। शंघाई इलेक्ट्रिक के मुताबिक, रिलायन्स यूके को अनुबंध के तहत 9,461 करोड़ रुपये का भुगतान करना था, जिसमें 2019 तक 995 करोड़ रुपये देय थे।
-एजेंसी
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