वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में जिन तलगृहों की जांच अभी तक नहीं हो सकी है, उनका सर्वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से कराने की मांग करते हुए प्रार्थना पत्र सोमवार को अदालत में दाखिल किया गया। प्रार्थना पत्र मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग को लेकर दाखिल मुकदमे की वादी राखी सिंह की ओर से उनके वकील सौरभ तिवारी, अनुपम द्विवेदी व मान बहादुर सिंह ने दाखिल किया है।
इसमें उत्तर प्रदेश सरकार, जिलाधिकारी वाराणसी, पुलिस कमिश्नर, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद, विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को प्रतिवादी बनाया गया है।
दक्षिण दिशा में हैं तीन तलगृह
प्रार्थना पत्र में बताया गया है कि सर्वे के दौरान उत्तर दिशा में पांच और दक्षिण दिशा में तीन तलगृह पाए गए। इनमें से उत्तर में एक (एन-1) व दक्षिण में एक (एस-1) की जांच नहीं हो सकी क्योंकि उनके प्रवेश की जगह को ईंट-पत्थरों से बंद कर दिया गया है।
एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में इसे बताया है। पश्चिम दीवार से तलगृह की ओर जाने के रास्ते को बंद किया गया है। इसके प्रवेश द्वार की लंबाई 1.7 मीटर और 1.11 मीटर है। पूरब दिशा में जाने की पांच जगहों को बंद किया गया है। दक्षिण से उत्तर की ओर से बंद वाली जगहों में उत्तर पूरब का कोना बिल्कुल अलग है। इसकी प्रकृति अन्य से अलग है। इसका प्रवेश द्वार पत्थरों के खंभों से बना है।
प्रवेश को पत्थरों और लाखौरी ईंटों से बंद किया गया है। जिन हिस्सों को ईंट पत्थरों से बंद किया गया है मौजूद इमारत उस पर नहीं टिकी है। इसलिए इनको हटाकर जांच करने पर इमारत को नुकसान नहीं होगा।
परिसर में सर्वे के दौरान शिवलिंग, भगवान गणेश समेत अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। ऐसे में बंद तलगृहों की जांच के दौरान भी ऐसे ढेरों साक्ष्य मिलने की संभावना है। इसकी जांच के लिए अदालत एएसआइ को आदेश दे सकती है।
प्रार्थना किया कि अदालत एएसआई के महानिदेशक को आदेशित करे कि जीपीआर व अन्य वैज्ञानिक तरीकों से मौजूद वर्तमान इमारत को नुकसान पहुंचाए बिना बंद तलगृहों का सर्वे करे जिनकी जांच पूर्व में नहीं हो सकी है। वादी ने इस संदर्भ में एएसआई सर्वे की रिपोर्ट में शामिल नक्शा भी प्रस्तुत किया गया है।
-एजेंसी
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