नई दिल्ली। स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक की आज पुण्यतिथि है। गुलाम भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों से लोहा लेने वाले महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु 01 अगस्त 1920 को मुंबई में हुई थी।
असहयोग आंदोलन के लिए जब एक साल के भीतर एक करोड़ रुपये जमा करने का लक्षय रखा गया तो गांधी जी ने तिलक की पुण्यतिथि पर कोष को नाम दिया तिलक स्वराज फंड। देश की जनता तिलक का बहुत स्म्मान करती थी और उन्होंने जितना हो सका उतना फंड दिया। तिलक के जनता पर प्रभाव के कारण ही यह असंभव सा दिखने वाला लक्षय संभव हो गया।
‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ उनका यही कथन लोगों के दिलों में संघर्ष जगा गया और उन्हें ‘लोकमान्य’ के नाम से प्रसिद्ध कर गया।
तिलक का जन्म महाराष्ट्र के कोंकण प्रदेश (रत्नागिरि) के चिक्कन गांव में 23 जुलाई 1856 को हुआ था। उनके पिता गंगाधर रामचंद्र तिलक एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे। अपने परिश्रम के बल पर पाठशाला के मेधावी छात्रों में बाल गंगाधर तिलक की गिनती होती थी। वे पढ़ने के साथ-साथ प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम भी करते थे, अतः उनका शरीर स्वस्थ और पुष्ट था।
सन 1879 में तिलक ने बीए तथा कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की। घरवाले और उनके मित्र संबंधी यह आशा कर रहे थे कि तिलक वकालत कर धन कमाएंगे और वंश के गौरव को बढ़ाएंगे, परंतु तिलक ने प्रारंभ से ही जनता की सेवा का व्रत धारण कर लिया था।
फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना की
हिन्दुस्तान के एक प्रमुख नेता तिलक ने परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अपनी सेवाएं पूर्ण रूप से एक शिक्षण संस्था के निर्माण को दे दीं। सन 1880 में उन्होंने न्यू इंग्लिश स्कूल और कुछ साल बाद फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना की। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता रहे तिलक ने ही सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठाई थी।
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