गौमाता की सेवा ने बदली गौदास आदि की तकदीर।
ज्यादातर लोग यहीं सोचते हैं की गौ सेवा बुढ़ापे में या रिटायर्मेंट के बाद करनी चाहिए पर ये अलग बात है आदि डडवाल ने अपना जीवन जीने का एक अलग रास्ता चुना और गौशालाओं में गौमाता की सेवा कर जीवन जीने को स्वीकार किया SOCIAL मीडिया से हमेशा खुद को दूर रखते हुए भी आज SOCIAL मीडिया पर लोग इन्हें mba गाय वाला के नाम से जानने लगें है। जी हाँ mba चाय वाला के बाद अब एक ऐसा शख्स जो MBA गाय वाला के नाम से जाना जा रहा है।
MBAकी डीग्री करने के बाद हर स्टूडेंट का एक अच्छी नोकरी की ओर ध्यान होता है एक अच्छी कम्पनी में काम कर अच्छा खासा पैसे कमाना और अपने सपनों को साकार करना होता है पर MBA गाय वाला के नजरिये से गौमाता की सेवा से बड़ी कोई नोकरी नहीं है और उनका कहना है जो भी व्यक्ति गौसेवा में लगा हुआ है या गौशाला को चला रहा है इसमें हमारा ये कर्तव्य बनता है की हम ऐसे लोगों का साथ दें (गावो रक्षन्ति रक्षितः) इसका मतलब साफ़ है अगर गौमाता बचेगी तो इन्सान बचेगा ओर हमारा धर्म बचेगा। नहीं तो जैसी हालत गौमाता की हो रही है ऐसी ही हालत इंसानों की भी हो रही है जैसे जैसे देश में गौशालाएं बढ़ रही हैं वेसे वेसे देश में वृद्ध आश्रमों की संख्या भी बड रही है।
MBA गाय वाला ने एक चर्चा में बताया की MBAकरने के बाद समाज में बहुत से लोगों ने उन्हें तान्हे भी मारे की पढाई क्यों की अगर गौसेवा ही करनी थी। गौसेवा तो अनपढ़ लोग भी कर सकते हैं पर बहुत कम लोग है जो गौमाता के दर्द को समझ सकते हैं इस विषय पर कहने को बहुत कुछ है पर बातों से ज्यादा समय सेवा में लगे तो अच्छा है 10 साल से गौसेवा में जुटे रहते हुए बहुत सी गौशालाओं में सेवा दी। हाल ही में हुई चर्चा में पता चला है की अब MBA गाय वाला पंजाब होशियारपुर के एक छोटे से गांव पोहारी में प्राचीन बाण गंगा शिव मंदिर जो की 5000 साल पुराना पांडवों दुवारा निर्मित एक त्रिमूर्ति शिवलिंग है और अपने गुरु आज्ञा पर MBA गाय वाला वंहा पर सनातन की नष्ट हुई प्राचीन विद्याएँ जो गौमाता और कुदरत की देंन हैं और बहुत सी बीमारियों में रामबाण है इसके अध्यन में लगें हुए हैं।
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