डीएसपी जियाउल हक हत्या मामले की सीबीआई करेगी जांच,विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

डीएसपी जियाउल हक हत्या मामले की सीबीआई करेगी जांच, विधायक राजा भैया की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

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नई दिल्ली। यूपी पुलिस उप अधीक्षक जियाउल हक की हत्या केस में विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया  की भूमिका की जांच सीबीआई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को दरकिनार कर दिया, जिसमें राजा भैया सहित पांच के खिलाफ सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।

बता दें कि वर्ष 2013 में हथिगवां के बलीपुर में तत्कालीन सीओ जिया उल हक की गोली मारकर हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी भूमिका की फिर से जांच के आदेश दिए हैं। बलीपुर में 2 मार्च 2013 को तीन लोगों की हत्या हुई थी। सीओ जिया उल हक, बलीपुर प्रधान नन्हे यादव और उसके भाई सुरेश यादव की हत्या के बाद हुए बवाल पर घटनास्थल पर पहुंचे। कुंडा कोतवाल सर्वेश मिश्रा, एसएसआई विनय उन्हें अकेला छोड़कर भाग निकले, जिसके बाद सीओ की बेरहमी से पिटाई के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

इस घटना ने देश की सियासत में भूचाल ला दिया था। इस मामले में जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने तत्कालीन खाद्य एवं रसद मंत्री रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया समेत अन्य के खिलाफ हत्या की साजिश रचने और हत्या का केस दर्ज कराया था। इसके बाद राजा भैया को अखिलेश सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

हालांकि, क्लीन चिट मिलने के बाद अक्तूबर 2013 को फिर अखिलेश मंत्रिमंडल में शामिल हो गए थे। तिहरे हत्याकांड की जांच पहले पुलिस और बाद में सीबीआई (CBI) द्वारा की गई थी। जांच के बाद रघुराज प्रताप को क्लीन चिट मिल गई थी। इसके खिलाफ परवीन आजाद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

तिहरे हत्याकांड में  दर्ज करवाई गई थी चार एफआईआर

तिहरे हत्याकांड में चार एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। एक एफआईआर प्रधान नन्हे यादव की हत्या की थी। दूसरी एफआईआर पुलिस पर हमले की थी। तीसरी एफआईआर नन्हे यादव के भाई सुरेश यादव के हत्या की और चौथी एफआईआर सीओ जिया उल हक के हत्या की थी।

तत्कालीन थानाध्यक्ष मनोज शुक्ला की तरफ से प्रधान नन्हें यादव के भाइयों और बेटों समेत 10 लोगों को नामजद किया गया। इसमें राजा भैया के प्रतिनिधि हरिओम शंकर श्रीवास्तव, चेयरमैन गुलशन यादव, राजा भैया के चालक रोहित सिंह और गुड्डू सिंह भी शामिल थे। सीबीआई ने राजा भैया, गुलशन यादव, हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दे दी। राजा भैया को पॉलीग्राफ टेस्ट से भी गुजरना पड़ा था।

लाई डिटेक्टर टेस्ट में राजा भैया को क्लीन चिट

सीओ जिया उल हक की हत्या के मामले में सीबीआई (CBI) ने रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी से तीन दिन तक गहन पूछताछ की थी। नई दिल्ली स्थित सीबीआई (CBI)  मुख्यालय की टीम ने सीओ की हत्या में राजा भैया की भूमिका के हर पहलू को खंगाला, लेकिन कोई अहम सुराग हाथ नहीं लग सका। सीबीआई (CBI) से परेशान होकर राजा भैया ने खुद सीबीआई कोर्ट से अपना लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने का अनुरोध किया था।

कोर्ट की अनुमति मिलने पर सीबीआई (CBI) ने जुलाई, 2013 में राजा भैया का टेस्ट कराया था। इसमें भी कोई खास सुबूत नहीं मिलने पर उनको क्लीन चिट दी गई थी। क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने के बाद राजा भैया के खिलाफ मामला बंद कर दिया गया, हालांकि सीओ की पत्नी परवीन आजाद ने अदालत में लड़ाई जारी रखी।

बताते चलें कि कुंडा में सीओ की हत्या की सूचना मिलते ही राजा भैया ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर अपना पक्ष रखा था। हालांकि बाद में उन्होंने पार्टी की छवि का हवाला देते हुए मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। उल्लेखनीय है कि इस मामले की जांच सीबीआई के एडिशनल एसपी एसएस गुरुम ने की थी।

सीबीआई टीम ने प्रतापगढ़ में कैंप कार्यालय बनाकर राजा भैया के साथ उनके तमाम परिजनों, स्टाफ और करीबियों को बुलाकर पूछताछ की थी। सीओ जिया उल हक और राजा भैया के बीच रिश्तों की पड़ताल और गांव में घटनाक्रम समझने के लिए भेष बदलकर रेकी भी की थी। सीबीआई जांच में सामने आया था कि वलीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की यादव के बाद मौके पर पहुंचे सीओ की टीम पर ग्रामीणों ने हमला बोल दिया था। इस दौरान सीओ को गोली लग गयी थी।

जानें क्या था पूरा मामला?

प्रतापगढ़ के हथिगवां थाना इलाके के गांव बलीपुर में दो मार्च 2013 को रात करीब सवा आठ बजे दोहरे हत्याकांड की सूचना पर पहुंचे कुंडा क्षेत्र के क्षेत्राधिकारी जिया-उल-हक को पहले लाठी-डंडों से बेरहमी से पीटा गया। बाद में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। तीन घंटों तक उनकी लाश प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर पड़ी मिली। जिया-उल-हक की सुरक्षा में लगे गनर इमरान और विनय कुमार जान बचाकर भाग गए थे।

दबंगों ने उन्हें लाठियों से पीटा, जीप से खींचकर जमीन पर घसीटा, फिर गोली मार दी। उन्हें पैरों में दो गोली मारी गई और फिर एक सीने में। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ था। इस हत्याकांड का आरोप समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनके करीबी गुलशन यादव समेत कई लोगों पर लगा था। यह मामला 10 साल बाद भी उनके गले की फांस बना है। अब सुप्रीम कोर्ट ने जिया उल हक हत्याकांड में कुंडा विधायक राजा भैया की भूमिका की जांच का आदेश सीबीआई को दिया है।

Compiled: up18 News


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