नए संसद भवन पर जयराम रमेश की टिप्‍पणी उनकी दयनीय मानसिकता के कारण: नड्डा

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नड्डा ने लिखा, “वैसे भी यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस संसद का विरोध कर रही है. उन्होंने 1975 में कोशिश की, जिसमें वे बुरी तरह फेल साबित हुए.”

दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबा पोस्ट लिखकर नए संसद भवन की आलोचना की है.

उन्होंने कहा कि नए संसद भवन को ‘मोदी मल्टीप्लेक्स’ या ‘मोदी मैरियट’ कहा जाना चाहिए.

जयराम रमेश ने कहा, “चार दिनों के बाद मैंने देखा कि दोनों सदनों के अंदर और लॉबी, दोनों जगह बातचीत में खत्म हो गई है. अगर वास्तुकला लोकतंत्र को मार सकती है, तो प्रधानमंत्री बिना संविधान को फिर से लिखे बिना ही सफल हो चुके हैं.”

उन्होंने लिखा, “एक-दूसरे को देखने के लिए दूरबीन की जरूरत पड़ती है, क्योंकि हॉल बिल्कुल आरामदायक और कॉम्पैक्ट नहीं हैं. पुराने संसद भवन का खास एक माहौल था जहां बातचीत करना आसान होता था. सदनों, सेंट्रल हॉल और गलियारों के बीच चलना आसान था, जिसके चलते संसद भवन को चलाना आसान होता था, लेकिन नए संसद भवन में यह नहीं है. दोनों सदनों के बीच जल्दी में कॉर्डिनेट करना भी मुश्किल हो गया है.”

वे लिखते हैं, “पुरानी इमारत में अगर आप गुम हो जाते थे तो आपको अपना रास्ता फिर से मिल जाता था क्योंकि वह बिल्डिंग गोलकार थी. नई इमारत में अगर रास्ता भूल जाते हैं तो आप भूलभुलैया में खो जाते हैं. पुरानी इमारत आपको खुलेपन का एहसास देती थी जबकि नई इमारत में घुटन महसूस होती है.”

जयराम रमेश लिखते हैं, “संसद में आराम से घूमने का जो आनंद था, अब वो गायब हो गया है. पुरानी बिल्डिंग में जाने के लिए मैं उत्सुक रहता था लेकिन नई संसद में जाना पीड़ादायक है. मुझे यकीन है कि पार्टी लाइन से अलग मेरे कई साथी भी ऐसा ही महसूस करते हैं. मैंने सचिवालय के कर्मचारियों से भी यह सुना है कि नए भवन के डिजाइन में उनके काम को ध्यान में नहीं रखा गया है. ऐसा तब होता है जब बिल्डिंग का इस्तेमाल करने वाले लोगों के साथ कोई बातचीत नहीं की जाती.”

उन्होंने लिखा, “शायद 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद नए संसद भवन का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा.”

Compiled: up18 News


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