फ्रूट बैट से फैलता है न‍िपाह वायरस, इसका खाया हुआ फल बन जाता है ‘वायरस बम’

Health

केरल में दो लोगों की मौत के बाद सरकार अलर्ट मोड पर है और उनके करीबियों का इलाज कराया जा रहा है. संदिग्धों के सैंपल लेकर जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भी भेजे गए हैं. इसके अलावा लोगों से सावधानी से रहने और लक्षण दिखने पर तत्काल अस्पताल आने की एडवाइजरी जारी की गई है.

निपाह एक जूनोटिक वायरस है, जो फ्रूट बैट यानी ऐसे चमगादड़ से फैलता है जो फल खाते हैं, यह चमगादड़ शाकाहारी होते हैं, जिन्हें मेगा बैट कहा जाता है. किसी भी फल के ऊपर बैठने या उसे खाने से निपाह वायरस फल में जाता है और इंसानों तक पहुंच जाता है. WHO के मुताबिक निपाह वायरस की सबसे पहले पहचान 1998 में मलेशिया के गांव सुंगई निपाह में हुई थी, इसीलिए इस वायरस को निपाह नाम दिया गया है.

फल को बना देता है वायरस बम

मेगा बैट यानी की फ्रूट बैट चमगादड़ के टेरोपोडिडे परिवार से संबंध रखते हैं, जिनकी तकरीबन 197 प्रजातियां हैं, खास बात ये है कि इनकी अधिकांश प्रजातियां पूरी तरह से शाकाहारी होती हैं, यानी ये फल खाकर अपनी भूख मिटाते हैं, विशेषज्ञों के मुताबिक वायरस चमगादड़ के शरीर में ही होता है, जब ये किसी फल पर बैठते हैं या उसे खाते हैं तो उनकी लार या ऊतकों से ये वायरस फल को संक्रमित कर देता है. जब ये फल अन्य फलों के साथ रखा जाता है तो उनमें भी वायरस पहुंचा देता है, इंसानों के संपर्क में आते ही वायरस उन तक पहुंच जाता है और धीरे-धीरे इसका ट्रांसमिशन हो जाता है.

इंसानों में ऐसे होता है ट्रांसमिशन

निपाह वायरस जूनोटिक है, इसका अर्थ होता है ऐसा वायरस जो जानवरों से इंसानों में फैलता है, संक्रमित फल के सेवन से ये इंसानों तक पहुंच जाता है और फिर संक्रमित इंसान अन्य इंसानों को इसका शिकार बना सकता है. खास बात ये है कि ये वायरस हवा से नहीं फैलता. ये संक्रमित व्यक्तियों के तरल पदार्थ जैसे खून, यूरिन, लार आदि के संपर्क में आने से ट्रांसमिट होता है.

फलों पर लंबे समय तक जीवित रहता है वायरस

मेगा बैट चमगादड़ों की एक ऐसी प्रजाति है, जो फलों को खाती है, इसीलिए इसे फ्रूट बैट भी कहा जाता है, ये जिस फल को खाते हैं. वह संक्रमित हो जाता है, जब कोई व्यक्ति उस फल को खा लेता है तो उस व्यक्ति में वायरस पहुंच जाते हैं. खास बात ये है कि फल पर छोड़ा गया चमगादड़ का ये वायरस लंबे समय तक जीवित रह सकता.

इन चमगादड़ों का एक मिनट में 700 बार तक धड़क सकता है दिल

मेगा बैट की कुछ प्रजातियां काफी बड़ी होती हैं, जिनका वजन डेढ़ किलो से ज्यादा हो सकता है, लेकिन सभी चमगादड़ बड़े नहीं होते, निपाह वायरस का कारण जिस चमगादड़ को बताया जा रहा है उसका वजन तकरीबन 50 ग्राम होता है, इनका चेहरा एक डॉग की तरह दिखता है, जो पंजे के सहारे पेड़ों पर उल्टा लटकते हैं. यह एक बार में कितना उड़ सकते हैं इसका कोई हिसाब नहीं, लेकिन उड़ान भरते हुए ये तेजी से ऑक्सीजन लेते हैं. तेजी से उड़ान भरने के दौरान इनका दिल एक मिनट में 700 से अधिक बार धड़क सकता है.

चमगादड़  महक से पहुंचते हैं फल तक

मेगा बैट की ज्यादातर प्रजातियां शाम और रात के समय उड़ती हैं, क्योंकि दिन की चमक में इन्हें कम दिखाई देता है, इस दौरान ये पेड़ों या गुफाओं में रहते हैं, ब्रिटानिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक फ्रूट बैट की कुछ प्रजातियां एकांत में रहती हैं तो कुछ हजारों चमगादड़ों के समूह में रहती हैं, यह फलों की खूशबू से उनतक पहुंचते हैं. फलों के अलावा ये फूल, पत्तियां, टहनियां और पेड़ों की छाल भी खाते हैं.

चमगादड़  खुद नहीं होते संक्रमित

निपाह वायरस हमेशा चमगादड़ में होता है, लेकिन ये खुद कभी इससे संक्रमित नहीं होते. इसका कारण होता है इनकी एंटीबॉडी, पिछले 15 साल से निपाह वायरस पर रिसर्च कर रहे प्रोफेसर लुबी के मुताबिक फ्रूट बैट की एंडीबॉडीज उनका कवच है. यह चमगादड़ में सुप्त अवस्था में रहता है, लेकिन जब ये फल खाते हैं तो वायरस उस पर पहुंच जाता है. केरल में इसके मामले इसलिए ज्यादा सामने आते हैं, क्योंकि दक्षिण के राज्यों में फ्रूट बैट ज्यादा संख्या में मिलते हैं.

– एजेंसी