देश की आजादी की सालगिरह के मौके पर चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका का काम है कि वह सुनिश्चित करे कि सरकारी संस्थाएं संविधान के दायरे में काम करें.
सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल को संबोधित करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है कि हम इस तथ्य को मानें कि सुप्रीम कोर्ट बार देश की प्रधान बार होने के नाते क़ानून के शासन की रक्षा के लिए है. हमारे संविधान में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका की परिकल्पना है कि वो संवैधानिक दायरों में शासन के संस्थानों के काम करने को सुनिश्चित करे. आप सभी वकीलों के बिना और आपकी निर्भिकता, आपकी आज़ादी के बिना हम जज कुछ भी नहीं हैं.”
“अगर मुझे बार के किसी सदस्य की ओर से साधारण मामलों की सुनवाई के लिए आवेदन आता है तो भी मैं सुनवाई को काफ़ी गंभीरता से लेता हूं, सही बेंच सुनवाई के लिए चुनता हूं. सुनवाई का परिणाम कुछ भी हो, मायने ये रखता है कि हमारे नागरिकों की न्याय तक पहुंच हो.”
“इससे नागरिकों में विश्वास पैदा होता है. वो जिसे मनमाने ढंग से गिरफ़्तार किया गया है, जिन्हें बुलडोज़र की धमकी दी जाए, ग़ैर कानूनी तरीक़े से किसी की संपत्ति अटैच की जाए, उस शख़्स के लिए ये ज़रूरी है कि उसे न्याय व्यवस्था के ज़रिए आवाज़ उठाने का मौका मिले.”
देश में लोकतंत्र के तीन स्तंभों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, “बीते 76 सालों में हर संस्था ने देश को मज़बूत करने का काम किया है. विधायिका, कार्यपालिका और न्यापालिका तीनों ने ही एक काम में साझा योगदान दिया है और वो है राष्ट्र निर्माण का काम.”
संविधान में न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका तय की गई है जिसके तहत न्यायपालिका को ये सुनिश्चित करना है कि गवर्नेंस की संस्थाएं संविधान के दायरे में काम करें.
Compiled: up18 News