सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। संविधान बेंच ने गुरुवार को सुनवाई जारी रखी। बुधवार को कोर्ट ने सवाल किया कि क्या चुनी हुई राज्य सरकार की सिफारिश से 370 निरस्त नहीं हो सकता? इस पर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनी हुई राज्य सरकार को भी यह अधिकार नहीं था।
कोर्ट ने पूछा कि एक प्रावधान (अनुच्छेद 370) जो अस्थायी था वह 1957 में जम्मू और कश्मीर संविधान सभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद स्थायी कैसे हो गया।
संविधान सभा का कार्यकाल 1957 में खत्म हो गया तो अब क्या? इस पर सिब्बल ने कहा 1951 से 1957 तक जम्मू कश्मीर की संविधान सभा फैसला ले सकती थी। उस दौरान यह अनुच्छेद-370 अस्थायी था, लेकिन 1957 के बाद अनुच्छेद-370 को निरस्त नहीं किया जा सकता था। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से जुड़े सभी अपडेट्स के लिए बने रहें NBT ऑनलाइन के साथ।
370 को छेड़ा नहीं जा सकता, सिब्बल की इस दलील पर SC ने क्या कहा
आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई शुरू हुई। संवैधानिक प्रावधानों के बारे में बताते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल दलीलें पेश कर रहे हैं। सिब्बल ने कहा कि संवैधानिक प्रावधान कहते हैं कि 370 को नहीं छुआ जा सकता। बाकी सारी चीजें छेड़ी जा सकती हैं। इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘370 (c) यह नहीं कहता कि 370 को नहीं छेड़ा जा सकता! असल में, इसमें बड़ा साफ लिखा है कि इसमें संशोधन किया जा सकता है।’
आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: पहले दिन की 10 बड़ी बातें
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बुधवार को याचिकाकर्ताओं से पूछा कि यह प्रावधान तो अस्थायी था, स्थायी कैसे बन गया? सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच का फोकस इसी सवाल पर रहा।
राज्य को यूटी कैसे बना सकते हैं: सिब्बल
बुधवार को सुनवाई के दौरान सिब्बल ने कहा था कि राजनीतिक फैसला संसद के जरिए सरकार नहीं ले सकती है। संसद ने तय कर लिया कि जम्मू- कश्मीर के लोग चाहते हैं कि अनुच्छेद-370 खत्म हो। संवैधानिक शक्ति संसद ने ले ली और खुद ही संविधान सभा बन गए। संवैधानिक तौर पर राज्य को यूटी कैसे बना सकते हैं।
Compiled: up18 News