– माननीयों और अधिकारियों से भी की जा रही है सिफारिशें
आगरा। नगर निगम में 238 करोड़ के भ्रष्टाचार में फंसे राकेश बंसल की नियुक्ति कराने में ठेकेदार का नाम उजागर होते ही। खलबली मच गई है। फर्जी दस्तावेजों पर टेंडर लेने के आरोप में ठेकेदार खुद ही फंसा हुआ है। अब भ्रष्टाचारी की नियुक्ति में अहम भूमिका निभाने का आरोप भी लग रहा है। यही वजह है कि अब वह इधर-उधर भाग कर अपने गोटियां फिट करने में जुट गया है।
बता दें कि महापौर के ओएसडी बने राकेश बंसल पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। ये प्रकरण बीजेपी में शीर्ष स्तर के नेताओं तक पहुंच चुका है। शहर भर में महापौर के इस निर्णय को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। जिस व्यक्ति पर करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप है उसे इतनी बड़ी जिम्मेदारी आखिर कैसे मिल गई। मंगलवार को खबर प्रकाशित होने के बाद से ठेकेदार की पेशानी पर बल पड़ गए। खबर है कि वह अपने मातहतों के साथ अफसरों और माननीयों की परिक्रमा करने निकल गया ताकि उस पर कोई आंच ना आ सके। भ्रष्टाचार में लिप्त ठेकेदार के साथ जलकल और नगर निगम के अधिकारी भी शामिल हैं। मोटे कमीशन के चलते ठेकेदार का साथ देते हैं।
इंजीनियरों पर है पूरी कमांड
2006 में स्कूटर पर चलने वाला ठेकेदार आज 700 करोड़ की संपत्ति का मालिक बन गया है। इतनी तेजी से संपत्ति अर्जित करने में कितना बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है। इसकी जांच होने बाद ही इस पर से पर्दा उठ सकेगा। ठेकेदार को काम करने का तरीका बहुत अच्छे से आता है। उसने अपने काम के इंजीनियर को आगरा में 10 -12 साल से रोका हुआ है। इंजीनियर उसके लिए काम करता है। जबकि तनख्वाह सरकार से लेता है।
डीएम के फर्जी हस्ताक्षर पर भी बच गया
आरोपी ठेकेदार के खिलाफ कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन अपने रसूख के चलते वह अपनी जांच शुरू होने से पहले ही निपटा देता है। धन बल और कुछ माननीयों के संरक्षण के चलते उस पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। यही वजह है कि टेंडर पाने के लिए डीएम के फर्जी हस्ताक्षर करवा लिए और श्रम विभाग से जारी प्रमाण पत्र के आधार पर करोड़ों का भुगतान कराने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं हो सकी है।
-सुनील साकेत
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