पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा- ‘अंतिम नतीजे हमारे आदेश पर निर्भर’

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कलकता हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य में हाल ही में संपन्‍न पंचायत चुनावों में व्यापक हिंसा को नियंत्रित करने के लिए की गई कार्रवाई पर पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग (डब्ल्यूबीएसईसी) की रिपोर्ट पर नाराजगी व्यक्त की। मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट असंतोषजनक और अधूरी है। न्यायमूर्ति शिवगणनम ने यह भी कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली में निर्वाचित घोषित किए गए उम्मीदवारों की किस्‍मत काफी हद तक इस संबंध में दायर याचिकाओं के नतीजों पर निर्भर करेगी।

राज्य चुनाव आयोग से पूछा कि आखिर आयोग ने केवल 696 बूथों पर दोबारा मतदान करने की घोषणा क्यों की? क्या इसके लिए कोई जांच की गई थी? इसके साथ ही कोर्ट ने पंचायत चुनावों में हिंसा को लेकर की गई कार्रवाई पर चुनाव आयोग की रिपोर्ट पर भी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि यह रिपोर्ट अधूरी और असंतोषजनक है।

उन्होंने मामले में सभी याचिकाकर्ताओं को गुरुवार तक संबंधित दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया। इस मामले पर 18 जुलाई को दोबारा सुनवाई होगी। चुनाव संबंधी हिंसा के संबंध में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में तीन जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। पहले याचिकाकर्ता पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भाजपा के शुभेंदु अधिकारी हैं। दूसरी याचिकाकर्ता भी भाजपा नेता और कलकत्ता उच्च न्यायालय की वकील प्रियंका टिबरेवाल हैं। तीसरा याचिकाकर्ता एक व्यक्ति फरहाद मलिक है।

”न्यायाधीश शिवगणम ने कहा, “अदालत विशेष रूप से केंद्रीय सशस्त्र बलों के कर्मियों की प्रभावी तैनाती और उपयोग में असहयोग करने के आयोग के खिलाफ आरोपों पर गौर करेगी। यदि राज्य अपने लोगों को सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकता है, तो अदालत इस मामले को गंभीरता से लेगी। आयोग को इस संबंध में हलफनामा दाखिल करना चाहिए। अदालत हर चीज़ की निगरानी कर रही है।”

कलकत्ता हाईकोर्ट ने 11 जुलाई को सुनवाई के दौरान राज्य चुनाव आयोग को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने आयोग से सवाल किया था कि हाईकोर्ट रजिस्ट्री को पंचायत चुनावों में हिंसा का आरोप लगाने वाले 44 से ज्यादा ईमेल मिले हैं। आप इन हालात पर कंट्रोल क्यों नहीं कर सके?

चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम ने आरोप-प्रत्यारोप करने वालों से कहा- पहला दूसरे को दोष दे रहा है। दूसरा किसी और को दोष दे रहा है। फिर हमने जो इतने सारे आदेश जारी किए थे, उनका क्या मतलब है?


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