चार दिवसीय अमेरिका दौरे पर पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने दुनिया को दो टूक संदेश देते हुए भारत की हिस्सेदारी की मांग कर दी है। पीएम ने कहा कि भारत को दुनिया में बड़ी भूमिका मिलनी चाहिए। पीएम मोदी ने दुनिया को साफ-साफ संदेश दिया कि भारत तटस्थ नहीं बल्कि शांति का समर्थक है और किसी को भी इस पर संदेह नहीं होना चाहिए। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र समेत सभी अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत की उचित हिस्सेदारी की भी मांग की। गौरतलब है कि पीएम मोदी 21-24 जून की राजकीय यात्रा पर अमेरिका दौरे पर हैं।
पीएम मोदी दुनिया को दो-टूक कहा कि भारत को अंतर्राष्ट्रीय मामले में ज्यादा बड़े प्रोफाइल और भूमिका की जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस भूमिका में हम किसी दूसरे देश की जगह नहीं लेने जा रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भारत आज दुनिया में अपनी जगह बना रहा है और दुनिया में हमारे लिए वही सही स्थान है।
पीएम मोदी ने वॉल स्ट्रीट जनरल के साथ इंटरव्यू में कहा कि कई लोग कहते हैं कि हम तटस्थ हैं, लेकिन हम तटस्थ नहीं हैं… बल्कि हम तो शांति के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा कि हम संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को मानने वाले लोग हैं। हम किसी भी विवाद का शांतिपूर्ण समाधान के समर्थक हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के आक्रामक अंदाज का समर्थन नहीं करने का ये मतलब नहीं है कि हम तटस्थ हैं। उन्होंने कहा कि हम तटस्थ नहीं, बल्कि शांति के समर्थक हैं।
यूक्रेन पर भारत के रवैये की अमेरिका में आलोचना के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि मेरा मानना है कि भारत का रवैया इस बारे में सबको पता है, और पूरी दुनिया को इसे समझना होगा। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया को पता है कि भारत शांति का पक्षधर है।
अमेरिका-भारत की दोस्ती का भी जिक्र
पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सोचने की प्रक्रिया उनके देश की परंपरा से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि मैं अपने देश का पहला पीएम हूं जो आजादी के बाद पैदा हुआ है। मैं जो कहता हूं, सोचता हूं वो सब मेरे देश की परंपरा से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच आपसी विश्वास है। नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच दोस्ती मजबूत हुई है। पीएम ने अपने इंटरव्यू में चीन को जमकर सुना दिया। उन्होंने कहा कि सीमा पर शांति ही आपसी रिश्ते को ठीक कर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र में भी मांगा हिस्सा
पीएम मोदी ने साथ ही संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के पुनर्गठन की भी मांग की। उन्होंने इस संगठनों में भारत का हिस्सा भी मांगा। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय संस्था में लोकतांत्रिक व्यवस्था को बढ़ावा नहीं देना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि आज आतंकवाद और विस्तारवाद के दौर में ऐसा होना सही नहीं है।
Compiled: up18 News