शर्माइये कि आप लखनऊ में हैं…गुप्तरोगों के इश्तिहार में पूर्व उपराष्ट्रपति का नाम, जैन क्लीनिक कर रहा लखनऊ को बदनाम

अन्तर्द्वन्द

लखनऊ: एक समय था जब लखनऊ शहर अपनी तहजीब और तमीज के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता था और चारबाग स्टेशन से बाहर निकलते ही यहां आने वाले लोगों को लखनऊ के रिक्शे-तांगे वाले बता देते थे कि अब आप तहजीब और तमीज की नगरी में प्रवेश कर चुके है। लेकिन अब माहौल बदल चुका है, धन्धेबाजों की फौज हर क्षेत्र में पनप चुकी है और इसका सीधा नजारा देश के जाने-माने रेलवे स्टेशनों में से एक लखनऊ के चारबाग जंक्शन के चारों ओर छाये गुप्तरोग विशेषज्ञों के विज्ञापनों से नजर आता है। चारबाग स्टेशन से बाहर पैर रखते ही ऐसा लगता है जैसे आप गुप्तरोगियों के शहर में आ गये है। जहां हर दूसरा-तीसरा आदमी किसी भयानक गुप्तरोग का शिकार है और एस.के.जैन, पीके जैन, एके जैन और पता नहीं कौन-कौन से जैन क्लीनिक हर तरह के गुप्तरोगों का इलाज किए दे रहे हैं। वैसे जैन दवाखाने का यह कारोबार पूरी बेशर्मी से विधानसभा चौराहे से लेकर हुसैनगंज चौराहे और हजरतगंज के हनुमान मंदिर के सामने तक फैला हुआ है। जहां ब्रह्मचर्य के प्रतीक पवनपुत्र हनुमान मंदिर आने वाले श्रद्धालु मंदिर के ठीक सामने मौजूद जैन क्लीनिक की बेशर्मी को देखकर सिर झुकाए निकलते है।

पूर्व उपराष्ट्रपति को किया बदनाम

भारत का उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति भी होता है और गर्वमेंट प्रोटोकाॅल के तहत उसकी संवैधानिक हैसियत भारत के प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से भी ऊपर होती है। फिर भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की गिनती तो देश के उन गिने-चुने भाजपाई नेताओं में होती है जिनकी इज्जत कांग्रेस समेत देश के सारे विपक्षी दल भी करते रहे है।

दक्षिण भारत से भाजपा के मुख्य चेहरा रहे वेंकैया नायडू ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लम्बे समय तक काम किया और आज भी उनके व्यक्तित्व पर किसी तरह के भ्रष्टाचार या चारित्रिक हनन का कोई दाग नहीं है। लेकिन गुप्तरोगों के इलाज के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाकर पैसा बटोरने वाले इन तमाम जैन क्लीनिकों के बेशर्म संचालकों को इससे क्या फर्क पड़ता है। उन्होंने ऐन चारबाग स्टेशन के सामने अपने इश्तिहारी मुजाहिरे में भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की संवैधानिक हैसियत को भी अपने धंधे में इस्तेमाल कर लिया है।

ताज्जुब की बात यह है कि भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति के इतने बड़े संवैधानिक अपमान का यह तमाशा ना तो सूबे की सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नजर आ रहा है, ना ही भाजपा के किसी प्रादेशिक या केन्द्रीय नेता ने इस विज्ञापन के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कराने की कोशिश की है। नतीजा यह है,कि अपने जीवन के आठ दशक पूरे कर चुके साफ-सुथरे व्यक्तिव के मालिक वेंकैया नायडू अब इन गलीछाप धंधेबाज जैन क्लीनिकों के धंधों के ब्रांड एम्बेसडर बने नजर आ रहे है और भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति के इस अपमान पर कानूनी कार्यवाही कराने के लिए जिम्मेदार सरकारी महकमे जैन क्लीनिकों की अंधी कमाई के हिस्सेदार बने हुए है।

रेलवे प्रशासन की भूमिका

वैसे अब तक यह रहस्य है, कि पूरे चारबाग स्टेशन पर पटे पड़े इन गुप्तरोग क्लीनिकों की होर्डिंगों को लगाने का ठेका कौन देता है और यह पैसा किसकी जेब में जा रहा है। जब लखनऊ नगर निगम से इन विज्ञापनों की वैधधता के बारे में पूछा जाता है तो जवाब मिलता है, कि चारबाग स्टेशन का मामला है रेलवे जाने। जब रेलवे प्रशासन से यह पूछा जाता है तो वे अंजान बनकर कहते कि स्टेशन से बाहर का मामला तो लखनऊ नगर निगम के हाथों में है हम क्या कर सकते है। नतीजा यह है कि इन पूरी तरह अवैध विज्ञापनों को लगाने वाले लोगों की हरकतों पर रोक लगाना किसी की जिम्मेदारी नहीं और इनके द्वारा प्रसारित किए जा रहे असामाजिक संदेशों पर रोक लगाना भी सम्भव नहीं हो पा रहा। इसी का नतीजा है कि अब इन्होंने सीधे-साधे लोगों को
गुप्तरोगी बनाकर ठगी के इस धंधे में भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति का नाम और चेहरा भी इस्तेमाल कर लिया है।

जिला प्रशासन की भूमिका

ऐसा नहीं कि भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति का चेहरा लगाकर गुप्तरोगों के इलाज की इस अवैध दुकानदारी का पता लखनऊ के जिला प्रशासन में बैठे अधिकारियों को नहीं है, लेकिन इन क्लीनिकों के संचालकों के जरिए से आने वाली अंधी कमाई का ही दमखम है,कि पूर्व उपराष्ट्रपति के सम्मान की भरे चौराहे पर धज्जियां उड़ते देखकर भी लखनऊ जिला प्रशासन चुप बैठा है, जबकि किसी भी सैंवधानिक पद पर रहे चुके व्यक्ति को उसकी लिखित अनुमति के बिना इस तरह अपनी व्यवसायिक गतिविधि में इस्तेमाल करना राष्ट्रद्रोह के अंतर्गत आता है जिसमें दोषी पाये जाने पर 12 साल की जेल और करोड़ो रूपये
हरजाने का भी देना पड़ सकता है।

क्यों चुप है इंडियन मेडिकल एसोसिएशन?

भारत के सभी एलोपैथिक चिकित्सकों की सर्वोच्च संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ऐसे सभी गुप्तरोग विशेषज्ञों को पहले ही आमान्य घोषित कर चुकी है और इनकी दावेदारियों को पूरी तरह अवैध और अप्रामणिक मान चुकी है।इसके लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बकायदा लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी और सुप्रीम कोर्ट से जीतने के बाद इन अवैध गुप्तरोग चिकित्सकों के खिलाफ भारत के सभी अखबारों में कई दिनों तक एक विज्ञापन भी छपवाया जिसमें ‘सेक्सोलाॅजी’ को आधुनिक चिकित्सा की किसी भी शाखा से सम्बंधित नहीं माना और साबित किया कि गुप्तरोगों की सौ प्रतिशत चिकित्सा का दावा करने वाले तमाम जैन क्लीनिक, हाशमी दवाखाने और दूसरे ऐसे सभी दावेदार नीम हकीम से जाता कुछ नहीं है। एक तरह से आईएमए ने इन्हें झोलाछाप डाक्टरों की हैसियत में रखा है तथा इनकी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए पुलिस कार्यवाही की ज़रूरत भी बतायी है। लेकिन अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन खुद इन झोलाछाप डाक्टरों की अवैध कारोबारी हरकतों की हिस्सेदार बनी नजर आ रही है।

सीएमओ कार्यालय की चुप्पी

किसी भी जिले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय की लिखित अनुमति के बिना ना तो कोई चिकित्सक इलाज कर सकता है ना कोई दवा बांट सकता है, ना ऑपरेशन कर सकता है और ना ही खून की जाँच जैसी गतिविधियां व्यवसायिक रूप में संचालित की जा सकती है तब सवाल यह उठता है कि ऐन राजधानी परिक्षेत्र में चारबाग, लालकुंआ, हुसैनगंज से लेकर हजरतगंज, अमीनाबाद और चौक तक फैले इन दर्जनों फर्जी सेक्स रोग क्लीनिकों की अवैध व्यवसायिक गतिविधियों को जारी रखने का परमिट किसके इशारे पर चल रहा है और एक सवाल यह भी उठता है, कि चारबाग से लेकर पूरे स्टेशन रोड और ओसीआर चौराहे पर मौजूद दर्जनों फर्जी गुप्तरोग इलाज का दावा करने वाले क्लीनिकों के विज्ञापन पटों पर कार्रवाई कराना किसकी जिम्मेदारी है।

लखनऊ जिला प्रशासन से लेकर लखनऊ नगर निगम, मंडलायुक्त कार्यालय, मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय, उत्तर रेलवे प्रशासन, पूर्वोत्तर रेलवे और लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट से जुड़े हजारों अधिकारियों की आँखों के सामने भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति की फजीहत करने वाले ये विज्ञापन सिर उठायें मौजूद हैं और सब ने चुप्पी साध रखी हैं और तो और खुद को भारत की महान संस्कृति और पारिवारिक परम्पराओं का झंडा उठाने वाली पार्टी बता रही भारतीय जनता पार्टी के किसी छोटे-बड़े नेता को भी अपने परिवार के वयोवृद्ध नेता वेंकैया नायडू का यह सार्वजानिक अपमान नजर नहीं आ रहा है।

-ज़ाहिद अली


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.