IEA Report: भारत का एक न‍िर्णय और मिडिल ईस्ट व अमेरिका का तेल का खेल खत्म

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पेरिस बेस्ड संस्था इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने जो रिपोर्ट पेश की है, उसमें साफ कहा गया है कि रूस का 80 फीसदी तेल एशिया की 298 अरब आबादी यानी भारत और चीन के भरोसे पर आ गई है. यह एक रिकॉर्ड है. मई के महीने में रूस दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत और चीन को अपना 80 फीसदी कच्चा तेल बेचा है. आईईए की रिपोर्ट से समझते हैं कि आखिर तेल का खेल बीते एक साल में पलट गया.

भारत ऐसे बना तेल का महारथी

तो शुरूआत यू्क्रेन और रूस वॉर से शुरू करते हैं जब अमेरिका और यूरोप ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिया. जब रूस ने सस्ती दरों पर तेल देने का ऐलान किया तो उस पर भी कैपिंग कर दी. जी हां, यही से शुरूआत हुई उस तेल की जिसमें भारत सबसे बड़ा खिलाड़ी बनकर उभरा. भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदना शुरू किया और खरीदते—खरीदते ऐसे लेवल पर आ गया कि आज भारत रूस के लिए सबसे बड़ा खरीददार बन चुका है. जिसके बाद चीन ने भी शुरुआत कर दी. चीन और भारत दोनों ही कच्चे तेल के सबसे बड़े इंपोर्टर हैं. जो दोनों ही मिडिल ईस्ट पर ज्यादा डिपेंड रहे हैं.

कोविड काल के बाद जिस तरह से ओपेक ने प्रोडक्शन कट की शुरुआत की उससे दाम बढ़ने शुरू हुए और भारत ने रूस के जरिए इसकी सबसे पहले काट निकाली. अब चीन भी उसी रास्ते पर है. भारत ने अब उसी रूसी तेल को रिफाइन कर यूरोप और अमेरिका में एक्सपोर्ट करना शुरू कर दिया और अपनी इकोनॉमी दुरुस्त करने का काम किया. इसी वजह से जब हाल में राहुल गांधी से अमेरिका दौरे पर प्रतिबंध के बाद भी रूसी तेल इंपोर्ट करने का सवाल हुआ तो वो भी सरकार के साथ खड़े हुए दिखाई दिए.

आईईए रिपोर्ट के आंकड़ों को देखना और समझना शुरू करते हैं. रिपोर्ट में साफतौर पर कहा गया है कि हैवी डिस्काउंट वाले रूसी कच्चे तेल को मुख्य रूप से एशिया में नए खरीदार मिले हैं. पेरिस बेस्ड एनर्जी एजेंसी ने अपनी नई ऑयल मार्केट रिपोर्ट में कहा, जो भारत रूस से नाममात्र का तेल खरीदता था वो आज बढ़कर 2 मिलियन बैरल प्रति दिन हो गया है. वहीं चीन ने 500,000 बैरल प्रति दिन से बढ़ाकर 2.2 मिलियन बैरल प्रति दिन कर दिया है.

मई में रूस का समुद्री कच्चे तेल का निर्यात औसतन 3.87 मिलियन बैरल प्रति दिन रहा, जो फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद सबसे अधिक है. आईईए ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मई 2023 में, भारत और चीन ने रूसी कच्चे तेल के निर्यात का लगभग 80 फीसदी हिस्सा लिया. बदले में, रूस ने भारत और चीन में क्रमशः 45 फीसदी और 20 फीसदी कच्चे तेल का आयात किया.

यूरोप जो कभी रूसी कच्चे तेल और गैस का सबसे बड़ा आयातक था के प्रतिबंध के बाद रूसी रूसी समुद्री कच्चे माल का 90 प्रतिशत से अधिक अब एशिया की ओर बढ़ रहा, जो वॉर से पहले के लेवल से 34 फीसदी ज्यादा है. भारत का रूसी तेल का आयात अप्रैल की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक देखने को मिला, जो एक नया रिकॉर्ड है. सस्ते रूसी कच्चे तेल को खरीदने का का जोश सिर्फ डिप डिस्काउंट है. मई के पहले तीन हफ्तों में रूस का मुख्य कच्चा तेल ब्रेंट के मुकाबले औसनत 26 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल सस्ता था, जो अंतर जनवरी 2022 में 3.70 डॉलर प्रति बैरल होता था.

-एजेंसी