रेल मंत्रालय सतर्क, अब किसी भी रूट पर नहीं बचेगा कोई सिगनल फॉल्टी

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बालासोर के हादसे से लिया गया सबक

रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सिगनल और ट्रैक समेत सुरक्षा से जुड़े सभी साजो-सामानों को पहले से ही तवज्जो मिलता रहा है। अब इन सब की एक बार फिर से सेफ्टी ड्राइव शुरु की जा रही है। सिगनल और रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम से जुड़े सभी उपकरणों का बेहतर तरीके से मेंटनेंस होगा। जहां कोई उपकरण फॉल्टी दिखेगा, उसका मरम्मत नहीं किया जाएगा बल्कि बदल दिया जाएगा।

रिले रूम की विशेष निगरानी

यूं तो रेलवे में रिले रूम में सिगनल डिपार्टमेंट से जुड़े उपकरण रहते हैं। लेकिन इस रूम में जो काम होता है वह ऑपरेटिंग डिपार्टमेंट का ही काम होता है। इसिलए इस रूम को खोलते वक्त स्टेशन मास्टर और सिगनल डिपार्टमेंट के लोगों की उपस्थिति अनिवार्य रहती है। दोनों के पास इस रूम की एक एक चाभी रहती है और दोनों के लगाने के बाद ही रूम का ताला खुलता है। रेलवे बोर्ड ने कहा है कि इस रूम में डबल लॉकिंग अरेंजमेंट का कड़ाई से पालन किया जाए।

क्या होता है रिले रूम 

रिले रूम या आरआरआई रूम हर बड़े स्टेशनों पर होता है। जिस सेक्शन पर ट्रेन ऑपरेशन ऑटोमेटिक तरीके से होता है, वहां रिले रूम की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। जहां रिले रूम या आरआरआई रूम बना होता है, वहीं पास में ही एक ऑपरेटिंग स्टाफ मतलब कि स्टेशन मास्टर और स्विच मैन या प्वाइंट‌्स मैन की भी तैनाती होती है। ऐसा इसिलए ताकि जब रिले रूम का दरवाजा खोलना हो, तो दोनों डपार्टमेंट के प्रतिनिधियों की उपस्थिति सुनिश्चित हो सके।

फाटक के गुमटियों की भी होगी निगरानी

आपने रेलवे फाटक कभी न कभी जरूर देखा होगा। हालांकि रेलवे अब फाटकों को धीरे धीरे बंद कर वहां रोड ओवरब्रिज या अंडरपास का निर्माण कर रहा है। लेकिन अभी भी ये फाटक विद्यमान हैं। रेलवे बोर्ड ने तय किया है कि अब इन गुमटियों की भी विशेष निगरानी की जाएगी। क्योंकि इन गुमटियों से भी चाहे तो किसी ट्रेन को हादसे का शिकार बनाया जा सकता है। इसिलए रेलवे ने तय किया है कि जिन गुमटियों पर सिगनलिंग इक्विपमेंट हैं, वहां भी डबल लॉकिंग अरेंजमेंट किया जाए।

Compiled: up18 News