संपत्ति में अधिकार की बात आए तो पिता के जिक्र के साथ मां द्वारा अर्जित की गई संपत्ति के बारे में भी बातहोनी चाहिए। अगर मां की स्वयं कमाई हुई अथवा उनके नाम की कोई संपत्ति है तो उस संपत्ति का वारिस कौन होगा , इस बारे में कानून क्या कहता है, आज मदर्स डे पर इसी के बारे में जानेंगे।
आज के समय में कई महिलाएं आत्मनिर्भर हैं। वे ख़ुद अपनी मेहनत से घर, गाड़ी ख़रीद रही हैं। ऐसे में उनकी इस संपत्ति में कौन भागीदार बन सकता है? एक मां अपनी चल और अचल संपत्ति किन लोगों में बांट सकती है इसकी जानकारी हर व्यक्ति को होनी चाहिए।
भारतीय विधि के अनुसार कौन कर सकता है दावा?
भारतीय विधि के अनुसार, अगर कोई महिला अपने जीवनकाल में ख़ुद से किसी तरह की संपत्ति अर्जित करती है या अपने पति, पिता या मां से उत्तराधिकार में प्राप्त करती है, तो बेटा या बेटी मां के जीवनकाल में उस पर किसी प्रकार का दावा नहीं कर सकते हैं। मां अपनी अर्जित संपत्ति किसी को भी अपनी इच्छानुसार वसीयत के ज़रिए दे सकती है। लेकिन यदि महिला की मृत्यु बिना वसीयत के होती है यानी कि महिला द्वारा वसीयत तैयार करने से पहले ही उसकी मृत्यु हो जाती है तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत बच्चों और अन्य परिवार के सदस्यों जिन्हें प्रथम श्रेणी का उत्तराधिकारी कहते हैं, के बीच संपत्ति का बंटवारा किया जाता है। इस श्रेणी में बेटियों को भी शामिल किया गया है।
शादीशुदा बेटी का संपत्ति पर अधिकार
हिंदू उत्तराधिकार क़ानून, 1956 के अनुसार जैसे पिता की संपत्ति में विवाहित बेटियों को भी बराबर का हिस्सेदार माना गया है, ठीक वैसे ही मां की संपत्ति में भी उनको अधिकार दिया गया है। यदि मां की मृत्यु निर्वसीयत हो जाती है, तो विरासत के क़ानून 1956 के अधिनियम के अनुसार लागू होते हैं। इसमें विवाहित पुत्री को पुत्र के साथ समान रूप से अपना हिस्सा प्राप्त होता है।
इनको मिल सकता है मालिकाना हक़
भारतीय क़ानून के तहत एक मां की संपत्ति में पति, बेटा, बेटी (विवाहित और अविवाहित), बेटी के बच्चे और बेटे के बच्चे अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।
यदि महिला अविवाहित है तो?
भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 42 और 43 के अंतर्गत यदि अविवाहित महिला की बिना वसीयत मृत्यु हो जाती है और उसके पिता जीवित हैं तो संपत्ति पिता को प्राप्त होगी। यदि पिता की भी मृत्यु हो चुकी है तो अविवाहित महिला की संपत्ति मां और उसके भाई-बहनों में समान रूप से विभाजित होगी।
उत्तराधिकार धार्मिक आधार पर व्यक्तिगत विधि से संचालित होता है परंतु विवाहित पुत्री के उत्तराधिकार सभी व्यक्तिगत क़ानूनों में हैं। मुस्लिम क़ानून में स्त्री का अधिकार पुरुष के अधिकार से प्रायः आधा होता है और अलग-अलग रिश्तों में उत्तराधिकार के प्रतिशत निर्धारित हैं।
Compiled: up18 News
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