दिल्ली में बन रही संसद भवन की नई इमारत भारतीय सभ्यता के 5000 वर्षों को दर्शाएगी। सनातन परंपरा और वास्तु कला के लगभग 5,000 आर्ट वर्क को इसके लिए तैयार किया गया है जिसमें पेंटिंग, डेकोरेटिव पीस, दीवार पैनल, पत्थर की मूर्तियों और धातु की वस्तुओं को नए संसद भवन की इमारत में लगाया जाएगा।
प्रवेश द्वार पर शुभ जानवरों की मूर्तियां
नई इमारत के छह प्रवेश द्वारों पर शुभ जानवरों की मूर्तियां लगाई जाएंगी। इन शुभ जानवरों को भारतीय संस्कृति, वास्तु शास्त्र और ज्ञान, जीत, शक्ति तथा सफलता जैसे गुणों में उनके महत्व के आधार पर चुना गया है। उत्तर के प्रवेश द्वार पर गज (हाथी) की मूर्ति लगाई जाएगी जो ज्ञान, धन, बुद्धि और स्मृति का प्रतिनिधित्व करता है। पूर्वी प्रवेश द्वार पर गरुड़ (ईगल) है, जो लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक है। उत्तर-पूर्वी प्रवेश द्वार में हंस है, जो विवेक और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है।
नई इमारत में स्वतंत्रता संग्राम और संविधान निर्माण में शामिल व्यक्तित्वों को समर्पित छह ग्रेनाइट प्रतिमाएं भी होंगी। इसके अलावा दोनों सदनों के लिए प्रत्येक में चार दीर्घाएं, तीन औपचारिक उपकक्ष और एक संविधान गैलरी होगी।
1000 से अधिक कारीगर और कलाकार शामिल
सूत्रों ने बताया कि न्यू पार्लियामेंट बिल्डिंग के लिए स्टोर से किसी भी कलाकृति का उपयोग नहीं किया गया है। इस इमारत की दीवारों को सजाने वाले आर्ट वर्क के सभी कार्य नए सिरे किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में एक हजार से अधिक कारीगर और कलाकार शामिल हुए हैं। एक सूत्र के मुताबिक देश भर के स्वदेशी और जमीनी कलाकारों को शामिल करने का प्रयास किया गया है क्योंकि संसद को देश के लोगों से संबंधित माना जाता है और उनकी आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। सूत्रों के अनुसार ये कलाकृतियां सभ्यता और संस्कृति दोनों से संबंधित भारतीय लोकाचार और पहचान को दर्शाएंगी।
सनातन परंपरा का 5000 साल का इतिहास समेटे होगी संसद की नई बिल्डिंग
इमारत के अंदर प्रत्येक दीवार पर एक निश्चित पहलू को दर्शाने वाला एक विषय होगा, जैसे आदिवासी और महिला नेताओं द्वारा योगदान। बिल्डिंग में भारतीय सभ्यता के 5,000 वर्षों को उजागर किया जाएगा। इसके अलावा स्मारकों पर भारतीय ज्ञान परंपराओं के साथ-साथ वैज्ञानिक परंपराओं को भी दर्शाने पर पर्याप्त ध्यान दिया जाएगा।
संसद भवन की नई इमारत में लगीं कलाकृतियां सनातन परम्परा का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो हजारों वर्षों से जारी है। इसका निर्माण वास्तु शास्त्र के हिसाब से किया जा रहा है।
Compiled: up18 News
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