भारत को मुस्लिम देश बनाने का सपना देखने वाले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई (PFI) नेताओं के आने वाले दिन और भी खराब होने वाले हैं। सरकार की अगली तैयारी ऐसी है कि पीएफआई लीडर खून के आंसू रो देंगे, खासकर संगठन के शीर्ष नेताओं की जमात।
केंद्रीय गृह मंत्रालय अब इनके खिलाफ चार्जशीट दायर करने की अनुमति देने जा रही है। मंत्रालय की हरी झंडी मिलते ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) इसी महीने चार्जशीट फाइल कर देगी। एनआईए प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के शीर्ष नेताओं पर युवाओं को खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में भर्ती के लिए उकसाने का गुप्त अभियान चलाने को लेकर चार्जशीट दाखिल करने वाली है। चार्जशीट में पीएफआई के टॉप लीडर्स पर यह भी आरोप लगाया जाएगा कि उन्होंने आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए खाड़ी देशों से भी धन जुटाया।
आतंकरोधी कानून यूएपीए के तहत एनआईओ को गिरफ्तारी के 180 दिनों से पहले चार्जशीट फाइल करनी होती है, लेकिन पहले उसे केंद्रीय गृह मंत्रालय से इसकी मंजूरी लेनी पड़ती है। अनलॉफुल ऐक्टिविटीज (प्रिवेंशन) ऐक्ट (UAPA) की धारा 45 के तहत ये जरूरी है। पिछले साल सितंबर में पीएफआई के खिलाफ देशभर में चली कार्रवाई में उसके 100 से ज्यादा नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। तब से वे जेल में हैं।
एनआईए के अधिकारियों ने अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि वे पीएफआई से जुड़े 7 मामलों की जांच कर रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘पीएफआई और उसके सहयोगियों पर देश में एक समुदाय के भीतर असुरक्षा की भावना पनपाकर कट्टरता को बढ़ावा देने का आरोप तय किया जाएगा।’ एनआईए के मुताबिक पीएफआई की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) कथित तौर पर 2020 के बेंगलुरु दंगे में शामिल रही थी।
पिछले साल 6 अक्टूबर को केंद्रीय कानून मंत्रालाय ने दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की अगुआई में एक ट्राइब्यूनल का गठन किया था जो पीएफआई, रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंदिया, ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल, नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेशनल वूमन्स फ्रंट और जूनियर फ्रंट एम्पावर इंडिया फाउंडेशन पर लगे 5 साल के बैन की समीक्षा कर रही है। यूएपीए, एक्स्प्लोसिव सब्सटांसेज एक्ट, आर्म्स एक्ट और इंडियन पेनल कोड के तहत पीएफआई के कार्यकर्ताओं के खिलाफ करीब 1400 केस दर्ज किए गए हैं।
Compiled: up18 News