स्कूली ड्रेस में भी बैंड लाइट उठाते दिखाई दिए बच्चे
होटलों के बाहर दरबान बनाकर घंटों किया जाता है खड़ा
चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने जिलाधिकारी, श्रम विभाग और बाल कल्याण समिति को लिखा पत्र
साक्ष्य के रूप में फोटो और वीडियो सौंपे
बारातों में बैंड-बाजों में छोटे बच्चों को बैंड बजवाए जाते हैं तथा उनसे भारी सामान (लाइट, झाड़ आदि) उठावाए जाते हैं। बैंड संचालकों/वादकों द्वारा बच्चों से देर रात तक बैंड बजवाए जाते हैं। उनसे भारी सामान उठवाए जाते हैं तथा मैरिज होम में बच्चों को दरबान बनाकर खड़ा किया जाता है। यह बाल अधिकारों का उल्लंघन है।चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने इस संबंध में डीएम, उप श्रम आयुक्त तथा बाल कल्याण समिति को अवगत कराया है। साक्ष्यों के तौर पर फोटो और वीडियो भी सौंपें हैं।
आदेश हवा में
नरेश पारस ने कहा कि यह बाल श्रम की श्रेणी में आता है। उक्त संदर्भ में पूर्व में भी श्रम विभाग को अवगत कराया जाता रहा है। बच्चों से बैंड बजवाना प्रतिबंधित कराने के आदेश जारी हुए थे। कुछ समय तक यह आदेश प्रभावी रहा लेकिन बाद में फिर से बच्चों से बैंड बाजों में बच्चों से बैंड बजवाया जा रहा है तथा लाइट, झाड़ उठवाए जा रहे हैं। अभियान चलाने की आवश्यकता है। बारातों में बच्चों से लाइट झाड़ उठवाने संबंधी वीडियों तथा फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं। बच्चे स्कूल की ड्रेस में भी लाइट खींचते दिखाई देते हैं।
प्रतिबंधित हो बाल श्रम
नरेश पारस ने मांग की है कि समस्त आदेश जारी कर बैंड बाजों में बच्चों से बैंड बजवाना तथा भारी सामान (लाइट, झाड़ आदि) उठावाना पूरी तरह प्रतिबंधित कराया जाए। साथ बैंड संचालकों और बारातघरों को भी नोटिस जारी किए जाएं। बच्चों से लाइट तथा झाड़ उठवाने वालों के विरूद्ध बाल श्रम निषेध अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाए तथा मुक्त कराए बच्चों को सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाए।
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