भारत विरोधी तत्व सुप्रीम कोर्ट का उपयोग औजार के तौर पर कर रहे हैं: पाञ्चजन्य

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टैक्सपेयर्स के पैसे का हो रहा दुरुपयोग!

बीबीसी की डॉक्युमेंट्री को लेकर शीर्ष अदालत के नोटिस का जिक्र करते हुए संपादकीय में कहा गया, ‘हमारे देश के हितों की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गई थी लेकिन भारत विरोधी अपना रास्ता साफ करने के प्रयासों के लिए इसका एक औजार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।’ इसमें कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय टैक्सपेयर्स के पैसे से चलता है और देश के लिए भारतीय कानून के अनुसार काम करता है।

उदारता का फायदा उठा रहीं देश विरोधी ताकतें

संपादकीय में बीबीसी की डॉक्युमेंट्री को भारत को बदनाम करने के लिए एक दुष्प्रचार करार देते हुए कहा गया कि यह झूठ और कल्पनाओं पर आधारित है। इसमें यह भी कहा गया है कि सभी देश विरोधी ताकतें हमारे लोकतंत्र, हमारी उदारता और हमारी सभ्यता के मानकों के प्रावधानों का हमारे खिलाफ फायदा उठाती हैं।

उच्चतम न्यायालय ने पिछले हफ्ते विवादित डॉक्युमेंट्री के मद्देनजर भारत में बीबीसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया था। सोशल मीडिया मंचों पर डॉक्युमेंट्री की पहुंच को रोकने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक और जत्थे पर अप्रैल में सुनवाई होगी।

बीबीसी डॉक्युमेंट्री पर थम नहीं रहा बवाल

ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के मामले में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री और अब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी है। इतना ही नहीं, शीर्ष अदालत ने यहां तक कहा कि गुजरात दंगों के जरिए देश में विभाजनकारी राजनीति को जिंदा रखने की साजिश होती रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार भी किया गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जिन तथ्यों को नकारा, उन्हीं के आधार पर बीबीसी ने डॉक्युमेंट्री बना डाली। बीजेपी और उसके समर्थकों का सवाल है कि 20 साल बाद ठीक संसद सत्र से पहले उस मुद्दे पर डॉक्युमेंट्री बनाने के पीछे बीबीसी की मंशा क्या है जिस पर देश की सर्वोच्च अदालत से फैसला आ चुका है?

Compiled: up18 News


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