असम-मेघालय के बीच सीमा विवाद हल करने के लिए किए गए एमओयू पर लगी मेघालय हाईकोर्ट की रोक आज हट गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगन आदेश जारी कर दिया।
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ असम व मेघालय सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। शुक्रवार को शीर्ष कोर्ट ने असम व मेघालय की याचिका पर सुनवाई हुई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ स्टे जारी कर दिया। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया। असम और मेघालय उनके बीच हुए समझौते (MOU) के अनुसार सीमा विवाद हल करना चाहते हैं।
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा और असम के उनके समकक्ष हिमंत विश्व शर्मा ने दोनों राज्यों के बीच अक्सर तनाव उत्पन्न करने वाले 12 विवादित क्षेत्रों में से कम से कम छह के सीमांकन के लिए 29 मार्च 2022 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
गृह मंत्री की मौजूदगी में हुआ था समझौता
यह समझौता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हुआ था। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था। मेघालय हाईकोर्ट की एक एकल पीठ ने समझौते के तहत जमीन पर भौतिक सीमांकन या सीमा चौकियों के निर्माण पर गत वर्ष नौ दिसंबर को अंतरिम रोक लगा दी थी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की ओर से दाखिल किए गए प्रतिवेदन पर गौर किया। इसमें कहा गया था कि मामले में तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है क्योंकि हाईकोर्ट की एकल और खंडपीठ ने उस अंतर-राज्यीय सीमा समझौते के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है, जिस पर पिछले साल हस्ताक्षर किए गए थे। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम इस पर सुनवाई करेंगे। कृपया याचिका की तीन प्रतियां सौंपें।
दरअसल, असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद 50 साल पुराना है। हाल के दिनों में इसे हल करने के प्रयासों में तेजी लाई गई है। दोनों राज्यों की सीमा करीब 884.9 किमी लंबी है। असम से अलग करके 1972 में मेघालय का गठन किया गया था, लेकिन नए राज्य ने असम पुनर्गठन अधिनियम 1971 को चुनौती दी जिसके बाद 12 सीमावर्ती स्थानों को लेकर विवाद शुरू हुआ।
Compiled: up18 News
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