उत्तर प्रदेश में हुए चुनाव में जहां भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला, वहीं समाजवादी पार्टी को भी अच्छी-खासी बढ़त हासिल हुई है। लेकिन लंबे समय से उत्तर प्रदेश की राजनीति में वापस लौटने की कोशिश कर रही कांग्रेस पार्टी के 399 उम्मीदवारों में से 387 की जमानत ही जब्त हो गई और सिर्फ दो ही प्रत्याशी अपनी सीट बचा सके। अगर बात बहुजन समाज पार्टी की करें तो उसके 403 उम्मीदवारों में से 290 अपनी जमानत नहीं बचा सके।
अगर प्रतिशत में बात करें तो कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में पड़े कुल वोट में से सिर्फ 2.4 फीसदी वोट प्राप्त हुए। वह भी तब जब पार्टी ने चार सीटों को छोड़ प्रदेश की हर सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। अगर 33 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) से कांग्रेस की तुलना करें तो आरएलडी ने 2.9 प्रतिशत वोट हासिल किए जो कांग्रेस से बेहतर है।
भाजपा और सपा के उम्मीदवारों की भी जमानत हुई जब्त
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ बुरी तरह से हारने वाली पार्टियों के उम्मीदवारों की ही जमानत जब्त हुई हैं, ऐसा नहीं है। प्रचंड जीत के साथ दोबारा सत्ता में आने वाली और 376 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने वाली भारतीय जनता पार्टी के भी तीन उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है। वहीं 347 उम्मीदवार उतारने वाली और सीटों के मामले में दूसरे नंबर पर रहने वाली समाजवादी पार्टी के भी 6 प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा सके।
अपना दल और निषाद पार्टी के एक भी प्रत्याशी की जमानत जब्त नहीं हुई
दिलचस्प बात तो ये है कि भाजपा गठबंधन की छोटी पार्टियों अपना दल(सोनेलाल) और निषाद पार्टी के एक भी उम्मीदवार की जमानत जब्द नहीं हुई। दोनों पार्टी के कुल 27 उम्मीदवार मैदान में थे। यह आंकड़ा इस ओर इशारा करता है कि इन दो पार्टियों को सिर्फ वही सीट दी गई थी जहां इनके चुनौती पेश करने की संभावना थी।
वहीं दूसरी तरफ अगर सपा गठबंधन की बात करें तो सुभासपा और अपना दल (कामेरावादी) कुल 25 सीटों पर लड़े थे जिसमें से 8 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। वहीं गठबंधन की बड़ी पार्टी आरएलजी के भी 33 में से 3 प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा सके।
कब जब्त होती है प्रत्याशी की जमानत
चुनाव नियमों के अनुसार, एक प्रत्याशी जब कुल पड़े वोटों का छठा भाग भी पा सकने में असमर्थ रहता है तो वह अपनी जमानत की राशि को नहीं बचा पाता। इस बार यूपी में कुल 4442 प्रत्याशी मैदान में थे जिसमें से 3522 यानी 80 प्रतिशत कैंडिडेट अपनी जमानत नहीं बचा सके। जमानत राशि नामांकन पत्र भरते समय बॉन्ड के रूप में भरा जाता है।
-एजेंसियां
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