2029 में भारतीय गणराज्य का क्या भविष्य है? हमारे मन में एक और सवाल आता है कि नरेंद्र मोदी के बाद कौन? हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल ने पर्याप्त संकेत दिए हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुशल युवा नेताओं की एक सेना बनाना चाहते हैं और उनमें से सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री पद के लिए प्रयत्न कर सकते हैं। युवा सांसद, मंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री और सत्ताधारी दलों के नेता, सहयोगी, विपक्षी दल, नौकरशाह, टेक्नोक्रेट, उद्योगपति और कुछ डार्क हॉर्सेस टॉप पोजिशन की दौड़ में होंगे और भारतीय राजनीति की जटिलता को देखते हुए उन्हें निश्चित रूप से किसी न किसी मुश्किल से होकर आगे बढ़ना होगा। यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि जिस तरह से मोदी ने भारतीय गणराज्य के रोडमैप को आकार दिया है, 2029 में टॉप पोजिशन पद के लिए खुली दौड़ होने वाली है और जिनके पास भारतीय मतदाताओं का मजबूत जनाधार, पैसा और मानसिकता पढ़ने की क्षमता है, वे फ्रंटरन साबित होंगे।
2029 तक कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सचिन पायलट, श्रीनिवास बीवी सहित अन्य निश्चित रूप से दौड़ में शामिल होंगे, पर भारतीय मतदाताओं ने कई बार राहुल गांधी के नेतृत्व को खारिज कर दिया है। गांधी की उम्मीदवारी 2024 के आम चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर निर्भर करेगी। इसी तरह कांग्रेस के अन्य युवा नेताओं का भाग्य आने वाले आठ वर्षों में उनके प्रदर्शन पर निर्भर करेगा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रधानमंत्री मोदी सीनियर्स पर लगाम कसने के लिए युवा नेता की तलाश करेंगे। मोदी और अमित शाह, 2029 में ‘मार्गदर्शक’ (गाइड) की भूमिका में रहना पसंद करेंगे, जो आज भाजपा के दिग्गज लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी द्वारा प्राप्त ‘सम्मानजनक स्थिति’ है। इस वजह से उत्तर प्रदेश के युवा सीएम योगी आदित्यनाथ 2022 और 2027 में विधानसभा चुनाव जीतने पर इस दौड़ में सबसे आगे होंगे। ऐसे राजनीतिक परिदृश्य में ग्लोबल बिजनेस टाइकून अजय हरिनाथ सिंह जैसा नाम डार्क हॉर्स के तौर पर लव राजवंश (भगवान राम के पुत्र) से सामने आ रहा है।
सुल्तानपुर के राजकुमार के रूप में पहचाने वाले अजय हरिनाथ सिंह भी राजपूत वंश से संबंध रखते हैं और वे योगी को चुनौती पेश कर सकते हैं। अजय हरिनाथ सिंह की इच्छा भारत सरकार के प्रमुख बनने की नहीं है, क्योंकि वे डार्विन प्लेटफ़ॉर्म ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ (DPGC) का नेतृत्व कर रहे हैं। वे भारत के एक ग्लोबल बिजनेस ग्रुप के अध्यक्ष के रूप में 6.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की संपत्ति आधारित नेट वर्थ है। हालांकि, संपत्ति बनाकर राष्ट्र-निर्माण के उनके जुनून ने भारतीय लोगों और कई राजनीतिक दलों की कल्पना को पंख दिए हैं।
भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं ने अजय हरिनाथ सिंह से महत्वपूर्ण पद संभालने की पेशकश के साथ संपर्क किया है। वह देश के शीर्ष नेताओं के साथ व्यवहार करने में बहुत उदार और विनम्र रहे हैं। उनकी करिश्माई अपील को देखते हुए वह 2029 तक शीर्ष पद के लिए मजबूत दावेदार के रूप में उभर सकते हैं। इसके अलावा उनके परोपकार और अगले कुछ वर्षों में डीपीजीसी की उनकी 25 सहयोगी कंपनियों में लोगों को लगभग 40 लाख रोजगार प्रदान करने के प्रयासों ने उन्हें युवाओं के बीच बहुत लोकप्रिय बना दिया है।
2029 तक अजय हरिनाथ सिंह 50 वर्ष से कम आयु वर्ग के होंगे और उनके टॉप पोजिशन के लिए सबसे आगे रहने की उम्मीद है। सामाजिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में उनकी ताकत देश के लिए उनके नजरिये को बढ़त प्रदान करेगी और दौड़ में एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगी। न केवल अपने गृह राज्य में बल्कि पूरे भारत में बढ़ती लोकप्रियता और हवा का रुख पहचानने की उनकी शक्ति ने उन्हें एक करिश्माई नेता बना दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि ज्योतिरादिय सिंधिया, सचिन पायलट, तेजस्वी सूर्या, तेजस्वी यादव, आदित्य ठाकरे, कन्हैया सिंह जैसे कई युवा नेता कई राजनीतिक दलों से आएंगे। यदि राहुल गांधी पीछे होते हैं, तो कांग्रेस सचिन पायलट को चुन सकती है, जो चुनाव लड़ने और जीतने के साथ-साथ प्रशासन में भी अनुभव रखते हैं। उत्तर प्रदेश के बाहर सबसे होनहार प्रधान मंत्री पद का उम्मीदवार कर्नाटक से उभर सकता है। तेजस्वी सूर्या बीजेपी उम्मीदवार हो सकते हैं, जिन्होंने बैंगलोर दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीता। 28 साल की उम्र में वे लोकसभा चुनाव जीतने वाले सबसे कम उम्र के उम्मीदवार थे।
यह भी सच है कि भविष्य के ‘मार्ग दर्शक’ शासन में अंतिम निर्णय अपने पास रखना चाहेंगे और यदि ऐसा होता है तो राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, कॉर्पोरेट डोमेन से अमित शाह के बेटे जय शाह और मुकेश अंबानी के बेटे आकाश अंबानी भी दौड़ में सबसे आगे निकल सकते हैं। हालांकि, राजनीतिक पंडितों का दृढ़ विश्वास है कि नई दिल्ली के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण होगा। करिश्मा, पर्याप्त मानव और वित्तीय संसाधनों के साथ यह राज्य ही तय करेगा कि कौन किससे आगे निकलेगा!
उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या में ब्राह्मण (9 प्रतिशत), राजपूत (4 प्रतिशत), वैश्य (4 प्रतिशत) और अन्य उच्च जातियां लगभग 20 प्रतिशत हैं। मुस्लिम और दलित समान रूप से 20 प्रतिशत और ओबीसी लगभग 40 प्रतिशत हैं। इस वजह से सबसे आगे वही होगी जो केवल कुशल प्रशासनिक कौशल, लोकप्रियता और राष्ट्र-निर्माण के जुनून के आधार पर उभरेगा। दूसरों को बहुत मुश्किल परिस्थितियों में से आगे निकलना होगा।
भारतीय गणतंत्र का भविष्य युवा नेताओं के कंधों पर टिका है। ताजा, ऊर्जावान, उनसे भारतीय राजनीतिक परिदृश्य को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करने की उम्मीद की जाती है। राष्ट्रीय स्तर पर 16वीं लोकसभा में उनमें से 47 हैं। 2024 में, 17वीं लोकसभा में युवाओं की संख्या बढ़कर 100 हो सकती है। 2029 तक यह सुरक्षित रूप से कहा जा सकता है कि भारतीय मतदाता, जिसमें अधिकांश युवा मतदाता हैं, अधिक परिपक्व होंगे और युवा को टॉप पोस्ट के लिए नेता चुनने का एक सुविचारित निर्णय लेंगे।
– यथार्थ मिश्रा