हमारी सेहत के लिए हेडफोन या ईयर फोन का यूज हानिकारक नहीं है, बल्कि इनके द्वारा तेज आवाज में लगातार म्यूजिक सुनना हमारे स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव डालता है।
संगीत एक चिकित्सा है, एक थेरपी है, जो हमारे तनाव को दूर कर हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है। जब भी कभी हमारा मूड खराब होता है तो हमारे फ्रेंड्स भी हमें फेवरिट म्यूजिक सुनने की सलाह देते हैं क्योंकि म्यूजिक हमारे ब्रेन को रिलैक्स कर हैपिनेस बढ़ाने का काम करता है लेकिन क्या आपको पता है कि अगर इस म्यूजिक को इंजॉय करने के लिए आप लंबे समय तक हेड फोन और ईयर फोन का इस्तेमाल करते हैं तो आपको ब्रेन रिलैक्सेशन के साथ ही कई दूसरी बीमारियां और परेशानियां मिल सकती हैं।
साउंड की लिमिट का ध्यान रखें
आपको हेडफोन या ईयर फोन इस्तेमाल करते समय म्यूजिक साउंड का जरूर ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ऐक सीमा से अधिक लाउड आवाज में लगातार म्यूजिक सुनने पर ना केवल कानों की सेहत को नुकसान पहुंचता है बल्कि दिमाग पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।
म्यूजिक साउंड से जुड़ी एक स्टडी के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति एक दिन में एक घंटे से अधिक लाउड साउंड यानी कि कानों की श्रवण क्षमता के हिसाब से 80 डेसिबल्स या उससे अधिक आवाज पर हेडफोन और ईयर फोन पर संगीत सुनता है तो उसके बहरे होने के चांसेज कई गुना बढ़ जाते हैं।
ईयर फोन और हेड फोन नहीं यह है दिकक्त
कई लोगों को ईयर फोन और हेडफोन में अंतर को लेकर कंफ्यूजन रहता है।
दरअसल, हेडफोन का इस्तेमाल करते समय हम कानों पर इसे बाहर से यूज करते हैं और ईयर फोन को कानों के अंदर डालकर यूज करते हैं लेकिन हमारी सेहत के लिए हेडफोन या ईयर फोन का यूज हानिकारक नहीं है बल्कि इनके द्वारा तेज आवाज में लगातार म्यूजिक सुनना हमारे स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव डालता है।
होती हैं कई परेशानियां
इनके अधिक प्रयोग से ना केवल हमारी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है बल्कि कई बार बहरेपन की स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता है। साथ ही कानों के सुन्न होने की समस्या, कानों में दर्द रहना, सिर में भारीपन रहना, नींद आने में दिक्कत होना, दिमागी रूप से थकान महसूस करना, कानों में इंफेक्शन होना या कानों में हर समय शोर सुनाई देते रहने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है इसलिए हेडफोन और ईयरफोन का उपयोग करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखें कि आप लाउड साउंड पर इनका इस्तेमाल ना करें।
-एजेंसियां