किसी भी देश की उन्नति व उससे जुड़ी आकांक्षाएं पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत में चलती जाती हैं मगर जब देश की जड़ों में मठ्ठा डालने का काम कोई पीढ़ी स्वयं ही करने लगे तो भला किसी दुश्मन के आक्रमण की क्या ज़रूरत। इसी तरह हमारी पीढ़ियों को बरबाद करने में जुटा है ड्रग माफिया और इससे जुड़ा पाकिस्तान-तालिबान नेक्सस। अभी तक इसका निशाना पंजाब और कश्मीर होता था परंतु हाल ही में कच्छ, गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर जो 3,000 किलो हाई क्वालिटी की ड्रग हेरोइन ज़ब्त की गई उसका केंद्र भारत का दक्षिण भाग था, ऐसा पहली बार हुआ है।
दरअसल, आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एम. सुधाकर और उनकी पत्नी जी. दुर्गा पूर्णा वैशाली के नाम पंजीकृत आशी ट्रेडिंग कंपनी के नाम आए व्यवसायिक पार्सल में जो हेरोइन पकड़ी गई उसे दस्तावेजों में सेमी-प्रॉसेस्ड टैल्क पत्थर बताया गया था। डीआरआई (Directorate of Revenue Intelligence) ने दोनों को चेन्नई से गिरफ्तार कर 10 दिनों के लिए हिरासत में ले पूछताछ शुरू कर दी है और इसमें कंधार के हसन हुसैन लिमिटेड का नाम सामने आ रहा है, जिसने निर्यात किया था। इसके बाद से सक्रिय हुई एजेंसियों ने देश में अहमदाबाद, मुंद्रा, चेन्नै, विजयवाड़ा और दिल्ली में छापे मारे। मुंबई, लखनऊ और नोएडा इकाई के साथ ऑपरेशन को अंजाम देते हुए दिल्ली व एनसीआर इलाके से कई अफगान नागरिकों व एक उज्बेकिस्तान की महिला की गिरफ्तारी की है।
डीआरआई ने आरोपियों के पास से 10.2 किग्रा कोकीन, 11 किग्रा हेरोइन और 38 किलो अन्य मादक पदार्थ बरामद किए गए हैं। डीआरआई का दावा है कि यह गिरफ्तारियां मुंद्रा पोर्ट से बरामद की गई 19000 करोड़ रुपए की हेरोइन के सिलसिले में की गई हैं। सोमवार की देर रात शिमला से दो और अफ गान नागरिकों को गिरफ्तार किया गया जो काफी समय से भारत में रह रहे थे।
यह सब इशारा है कि ड्रग सिंडीकेट के जरिए मनी लांड्रिंग और देशघाती तत्वों की जो जुगलबंदी बन रही है, वह अब सुरक्षा एजेंसियां की नजर में आ गई है।
खेप दर खेप
यूं तो भारत के सीमावर्ती राज्य किसी ना किसी तरह ड्रग्स तस्करी के जाल में पहले से ही जकड़े हुए हैं, जिसमें कि नॉर्थ-ईस्ट, पंजाब, कश्मीर तो पहले से ही था, अब गुजरात का कच्छ क्षेत्र भी शामिल हो गया है। पंजाब में आज भी 860,000 केस ड्रग्स सेवन के होते हैं जिनमें से 53 फ़ीसदी को हेरोइन की लती हैं तो कश्मीर में नौजवानों को इसका लती बनाकर आतंकवाद में धकेला जा रहा है। एजेंसियां इस पर लगातार काम भी कर रही हैं, बावजूद इसके ड्रग सिंडीकेट का दायरा लगातार बढ़ रहा है। अकेले सितम्बर का ही आंकड़ा है कि पंजाब की दो जेलों में ड्रग रैकेट, कर्नाटक में 2.5 करोड़ की ड्रग व आंध्र में ड्रग्स ले जा रहा ट्रक ज़ब्त, महाराष्ट्र में 25 करोड़ और असम में 7 करोड़ की ड्रग पकड़ने के बाद अब गुजरात की ये खेप जिसकी कीमत करीब 21,000 करोड़ रुपये आंकी गई।
बहरहाल, विश्व के सबसे बड़े अफ़ीम उत्पादक देश अफ़ग़ानिस्तान की अस्थिरता ने पूरे विश्व के लिए “हेरोइन” के माध्यम से संकटपूर्ण स्थिति बना दी है। आतंकी फंडिंग जहां देश की सुरक्षा के लिए खतरा है तो वहीं हेरोइन की लत से परिवार बरबाद हो रहे हैं। इस विकट स्थिति का सामना हम सरकारों व इस कार्य में जुटी सुरक्षा व जांच एजेंसियों का साथ देकर व अपनों को इससे बचाए रखकर ही कर सकते हैं क्योंकि जागरुक नागरिक का यही कर्तव्य है, इसे निभाना होगा। शेष तो हमारे देश के प्रहरी जाग्रत हैं ही।
– सुमित्रा सिंह चतुर्वेदी
साभार- legend news