रूस ने अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के खतरे को देखते हुए महा विनाशक (Russia Doomsday Bomb) बनाना शुरू कर दिया है। इस महाबम को रूस की अंतर महाद्वीपीय मिसाइल स्किफ में लगाया जाएगा। रूस का मानना है कि यह उसके बचाव का ‘ब्रह्मास्त्र’ होगा जो वह अंतिम अस्त्र के रूप में इस्तेमाल करेगा।
कोरोना वायरस महासंकट के बीच रूस ने दुनिया के सबसे बड़े बम का डिजाइन तैयार किया है। दुनिया में कयामत लाने में सक्षम इस महाबम को रिमोट से चलाकर विस्फोट किया जा सकता है। माना जा रहा है कि भविष्य में अगर रूस और पश्चिमी देशों के बीच जंग होती है तो रूस इसे अंतिम हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है। परमाणु शक्ति संपन्न स्किफ मिसाइल को अंतिम हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया गया है।
आइए जानते हैं कि क्यों यह बम ला सकता है कि महाविनाश-
अमेरिका और ब्रिटेन को कर सकता है बर्बाद
स्किफ मिसाइल पर लगा बम सिंथेटिक रेडियोधर्मी तत्व कोबाल्ट-60 के इस्तेमाल से समुद्र के बड़े हिस्से और उसके तटों में तबाही ला सकता है। यह मिसाइल 6,000 किमी दूर तक मार कर सकती है। 60 मील प्रति घंटे की रफ्तार के अपने ठिकाने पर निशाना लगाने में सक्षम है। इसका मकसद दुनिया को यह संदेश देना है कि रूस को कोई नहीं हरा सकता है। अगर इस बम को छोड़ा गया तो यह ब्रिटिश द्वीपों या अमेरिकी तटों के आसपास जहाजों को नष्ट कर सकता है और कई वर्षों के लिए पानी में जहर घोल सकता है।
विशेष जहाज से उतारा जाता है यह महाबम
यह बम इतना बड़ा है कि इसे समुद्र में उतारने के लिए एक विशेष जहाज की जरूरत पड़ती है और यह भयावह और दीर्घकालिक नुकसान ला सकता है। यही नहीं 25 मीटर लंबा और 100 टन वजनी यह महाबम समुद्र की सतह से 3,000 फीट नीचे कई सालों तक यूं ही पड़ा रह सकता है। जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। फरवरी में विशेषज्ञों को रूस के समुद्र में एक बड़ी चीज दिखी थी। पहले उन्हें लगा कि यह रूस के सूनामी मेकर पोसेडॉन ड्रोन का उन्नत संस्करण है लेकिन अब माना जा रहा है कि यह स्किफ मिसाइल थी। पोसेडॉन के पहली झलक 2015 में देखने को मिली थी। यह एक न्यूक्लियर ड्रोन है जो किसी तटीय शहर में सूनामी ला सकता है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल जो चीज रूस में दिखी थी, वह असल में स्किफ थी।
रूस की नौसेना को सौंपा गया ‘कयामत’ का हथियार
समुद्री परीक्षण के दौरान इसे रूस के जहाज एकेदेमिक एलेकसांद्रोव में रखा गया था। इस जहाज को गुपचुप तरीके से 12 अप्रैल को आर्कटिक बंदरगाह सेवेरोमोर्स्क में रूस की नौसेना को सौंपा गया था। इसे नौसेना के गुप्त यूनिट नंबर 40056 को सौंपा गया है। यह यूनिट गहरे पानी में शोध के लिए जानी जाती है। माना जा रहा है कि यह जहाज इस बम को छोड़ने के लिए लॉन्च पैड है। जंग में अंतिम हथियार के तौर पर इसका इस्तेमाल अटलांटिक के दोनों तरफ स्थित बंदरगाहों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है और इसे ग्रीनलैंड-आइसलैंड-यूके और नॉर्थ सी के आसपास तैनात किया जा सकता है।
रूस का साफ संदेश, हमें कोई हरा नहीं सकता है
पश्चिमी देशों को निशाना बनाने के लिए रूस ने कई समुद्री हथियारों का विकास किया है और उनमें स्किफ सबसे नया हथियार है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय में शस्त्र नियंत्रण निदेशक रहे पॉल शल्ट ने कहा, स्किफ कयामत का हथियार लग रहा है जिसका मकसद यह संदेश देना है कि रूस को कभी भी नहीं हराया जा सकता है। इससे पश्चिम के लिए बड़ी सामरिक चुनौती पैदा हो गई है। हाल में रूस का एक जंगी जहाज इंग्लिश चैनल में आ गया था जिससे ब्रिटेन की शाही नौसेना को अपना एक जहाज उसके पीछे लगाना पड़ा था।
-एजेंसियां