बच्चों के मानस‍िक व सामाज‍िक संवेदनात्मक व‍िकास में पर‍िवार के बड़ोंं द्वारा सुनाई गई कहान‍ियों का है अहम रोल

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दादी नानी की कहान‍ियां तो बस माध्यम भर रहीं परंतु ये सच है क‍ि बच्चों के मानस‍िक व सामाज‍िक संवेदनात्मक व‍िकास में पर‍िवार के बड़ोंं द्वारा सुनाई गई कहान‍ियों का अहम रोल होता है।

अब न तो दादी-नानी की कहानियां रह गई हैं और न ही आज के बच्चों में कहानियां पढ़ने या सुनने की प्रवृत्ति है। ऐसे में बच्चों में बचपना कहीं खोता जा रहा है। दादी-नानी की कहानियां केवल कुछ किस्से और फंतासियां भर नहीं हैं, वो एक परंपरा हैं। एक ऐसी विरासत जो खेल-खेल में ही बच्चों में अच्छे संस्कारों और आदर्शों को प्रोजेक्ट करती है। जैसे-जैसे संयुक्त परिवार का ढांचा चरमरा रहा है, बच्चों के पास से ये सारे मौके भी छूटते जा रहे हैं।

कहते हैं बच्‍चों कों संभालना कोई आसान काम नहीं, बच्‍चों के साथ आपको खुद भी बच्‍चा बनना पड़ता है। यानि उनके साथ नाटक, मजाक, मस्‍ती करके आपको हर काम करवाना पड़ सकता है। छोटे बच्‍चों को सुलाना सबसे कठिन काम होता है। ये नए-नए मां-बाप बने लोग भली भांति जान सकते हैं कि जब बच्चा रात भर सोता है तो उन्‍हें कितनी राहत मिलती है। जैसे-जैसे बच्‍चे बढ़ते हैं, वे अधिक सक्रिय हो जाते हैं। वे शायद आधी रात को अपने रोने के साथ आपको नहीं जगाएं लेकिन वे आपको अपनी गतिविधियों से जगाए रखेंगे। केवल एक चीज है, जो उन्हें सोने में मदद कर सकती है और वह है सोते समय की कहानी पढ़ना। यदि आपने कहानी सुनाने या कहानी पढ़ने की मास्टर कला नहीं सीखी है, तो इसे सीख लें। यह न केवल बच्चे को अच्छी नींद दिलाने वाला एक नुस्‍खा है, बल्कि यह उनके लिए कुछ स्वास्थ्य लाभ भी देता है। आइए आगे लेख में जानें कैसे?

यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा होशियार, तेज और सहानुभूति से विकसित हो, तो उसे सोते समय कहानी पढ़ने की आदत डालें। उन्हें नैतिकता के साथ कहानियों को पढ़ने से उनमें नैतिक मूल्यों में वृद्धि होगी। जब तक बच्‍चा पढ़ या बोल नहीं सकता है, तब तक आप खुद उसे अच्‍छी कहानियां पढ़कर सुनाएं। यह आदत उन्हें बाद में फायदा पहुंचाने वाली है। आप शिशु अवस्था से ही किसी भी उम्र में सोते समय कहानी सत्र शुरू कर सकते हैं और किशोरावस्था तक जारी रख सकते हैं। अपनी कल्पना को पंख देने और विकसित होने में मदद करने के लिए ये सबसे अच्छे वर्ष हैं।

सोते समय कहानियां पढ़ने के फायदे

यहाँ कहानी पढ़ने के बच्‍चों के लिए कुछ लाभ हैं, जो बहुत से माता-पिता नहीं जानते हैं।

संज्ञानात्मक विकास

बढ़ते वर्षों में, शिशुओं का मस्तिष्क भी बढ़ रहा होता है। यह उन्हें सही ज्ञान प्रदान करने की सही उम्र है क्योंकि वे जानकारी को बेहतर तरीके से ग्रहण कर सकते हैं। भाषा को समझने के लिए शिशु आपके भावों और होंठों की गतिविधियों को उत्सुकता से देखते हैं। यह उनके संज्ञानात्मक कार्यों को बढ़ा देता है। यह भी देखा गया है कि कहानी सुनने या पढ़ने की आदत वाले बच्चे बड़ी समस्या सुलझाने के कौशल विकसित करते हैं।

कहानी पढ़ने से आपके बच्चे की कम्‍युनिकेशन स्किल बढ़ती हैं। यदि आप उन्हें प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करते हैं, तो इससे उन्हें बोल्ड होने में भी मदद मिलती है, जो स्कूली शिक्षा शुरू करते समय फायदेमंद है। जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उनकी रुचि बढ़ती जाती है और वे नए शब्द सीखने की कोशिश करते हैं, जो उनकी शब्दावली को भी बढ़ाते हैं। ऐसे में बच्चे उस भाषा को अपनाते हैं, जो वे दैनिक आधार पर सुनते हैं। यही कारण है कि वे मूल भाषा में बोलना शुरू करते हैं (कभी-कभी बहु-भाषाएं भी)। जितना अधिक वे पढ़ते या सुनते हैं, उतना ही अधिक वे शब्द वे सीखेंगे।

पढ़ने की अच्छी आदत

पढ़ना एक बहुत अच्छी आदत है और यदि आप अपने बच्चे को शुरू से ही सही पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, तो वह इस आदत को बनाए रखेगा। यह न केवल ज्ञान को बढ़ाता है, बल्कि सोच को भी खोलता है और सीखने की क्षमता को बढ़ाता है। मज़ेदार कार्टून किताबों से शुरू करें और फिर एक आसान सीखने वाली किताबों पर जाएँ।

सामाजिक और भावनात्मक विकास

बच्चे हमेशा नई चीजों को देखने और सीखने के लिए उत्सुक रहते हैं। फैंसी चित्रों को वह जल्‍दी याद करते और पकड़ते हैं। इससे वह नए शब्द और नई ध्वनियों में दिलचस्पी और उनकी अनुकूलन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है।

व्यक्तित्व विकास

जैसा कि वे प्रेरक कहानियाँ पढ़ते हैं, इससे उन्हें एक समान व्यक्तित्व बनाने के लिए प्रेरणा मिल सकती है। वे निर्भीक, स्पष्टवादी, सहानुभूतिपूर्ण और आकर्षक बन जाते हैं। ये गुण उनके व्यक्तित्व को आकार देने में मदद करते हैं। आपको उन्हें अच्छी और अर्थपूर्ण स्टोरीबुक्स पढ़कर सुनानी और पढ़ानी चाहिए, जिनमें मज़े के पीछे के अच्‍छा ज्ञान हो।

-एजेंसियां


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