आगरा : जिन लोगों को अपने पितरों की पुण्य तिथि याद नहीं होती या फिर जो लोग किसी कारणवश पितृपक्ष के 15 दिनों तक तर्पण, श्राद्ध आदि नहीं कर पाते, उन्हें अपने पितरों की शांति के लिए सर्व पितृ अमावस्या के दिन जरूर श्राद्ध करना चाहिए। ये कहना प्रख्यात ज्योतिषचार्य आशिमा शर्मा का।
सनातन परंपरा में सर्व पितृ अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार आश्विन माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि भूले-बिसरे लोगों के श्राद्ध के लिए अत्यंत अनुकूल मानी गई है। इस साल यह तिथि 06 अक्टूबर 2021 को पड़ने जा रही है। पितरों के पिंडदान के लिए अमावस्या तिथि को श्रेष्ठ माना जाता है। इस तिथि का महत्व कई गुना तब और बढ़ जाता है जब यह पितृ पक्ष में पड़ती है। ऐसे में इस दिन पितरों के निमित्त विशेष रूप से श्राद्ध, तर्पण आदि करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है।
जब याद न हो पितरों की पुण्यतिथि : आशिमा शर्मा
ज्योतिषचार्य आशिमा शर्मा कहती है कि यदि आपको भी अपने पितरों के देवलोकगमन यानि मृत्यु की तिथि न याद हो तो आप उनकी शांति के लिए पितृ विसर्जन वाले दिन यानि कि सर्व पितृ अमावस्या तिथि को श्राद्ध कर सकते हैं।
पितृ अमावस्या तिथि पर क्या करें : आशिमा शर्मा
पितृ पक्ष की अमावस्या तिथि पर किसी योग्य ब्राह्मण को आदर-सम्मान के साथ घर पर बुलाकर श्रद्धा के साथ भोजन कराना चाहिए। जो लोग किसी कारणवश पितृ पक्ष के 15 दिनों तक श्राद्ध तर्पण आदि नहीं करते हैं, वह अमावस्या को ही अपने पितरों के लिए श्राद्ध करते हैं।
अमावस्या पर मिलता है पितरों का आशीर्वाद : आशिमा शर्मा
सर्व पितृ अमावस्या को पितरों की विदाई का दिन माना गया है। मान्यता है इस दिन जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ अपने पितरों की विधि-विधान से विदाई करता है, उससे प्रसन्न होकर पितृ उसकी झोली खुशियों से भर देते हैं। पितरों के आशीर्वाद से उसके जीवन में सभी प्रकार की सुख-संपदा बनी रहती है।
-Celebrity astrologer ashima sharma