दुनियाभर में पत्रकारों की सुरक्षा का मुद्दा अभी भी एक सवाल…

अन्तर्द्वन्द

दुनियाभर में पत्रकारों की सुरक्षा का मुद्दा अभी भी एक सवाल बना हुआ है। अपनी रिपोर्ट के चलते कई बार पत्रकारों को जेल की हवा तक खानी पड़ती है। ऐसी ही एक रिपोर्ट सामने आयी है, जो यह बताती है कि दुनियाभर में सलाखों के पीछे पत्रकारों की संख्या 2021 में बढ़कर सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है, जो एक नया रिकॉर्ड है।

दरअसल, मीडिया पर निगरानी रखने वाली न्यूयॉर्क की संस्था ‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (Committee to Protect Journalists) CPJ ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि 2021 में दुनियाभर में लगभग 293 पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया है। हालांकि यह आंकड़ा इस साल एक दिसंबर तक का है। इससे पहले 2020 में जेल जाने वाले पत्रकारों का संशोधित आंकड़ा 280 था।

न्यूयॉर्क में स्थित संस्था का कहना है कि पत्रकारों को जेल में डालने का कारण अलग-अलग देशों में भिन्न है। संस्था के मुताबिक यह रिकॉर्ड संख्या दुनिया भर में राजनीतिक उथल-पुथल और स्वतंत्र रिपोर्टिंग को लेकर बढ़ती असहिष्णुता को दर्शाती है।

सीपीजे के कार्यकारी निदेशक जोएल साइमन ने कहा, ‘यह लगातार छठा साल है जब सीपीजे ने दुनियाभर में कैद पत्रकारों की संख्या का लेखाजोखा तैयार किया है।’ उनके मुताबिक, ‘संख्या दो जटिल चुनौतियों को दर्शाती है। सरकारें सूचना को नियंत्रित और प्रबंधित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और वे ऐसा करने की कोशिश बहुत बेशर्मी से कर रही हैं।’

चीन लगातार तीसरे साल पत्रकारों के लिए सबसे खराब जेल बना रहा, जहां 50 पत्रकार इस साल जेल पहुंच गए। वैसे चीन में बार-बार पत्रकारों को जेल में डालना नई बात नहीं है। दूसरे स्थान पर म्यांमार रहा, जहां 1 फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के बाद शिकंजा कसते हुए 26 पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया। इसके बाद शीर्ष 5 में क्रमशः इजिप्ट (25), वियतनाम (23) और बेलारूस (19) शामिल हैं।

सीपीजे के मुताबिक, मेक्सिको में पत्रकारों को अक्सर निशाना बनाया जाता है। ऐसा तब होता है जब उनके काम से आपराधिक गिरोह या भ्रष्ट अधिकारी परेशान होते हैं। मेक्सिको पत्रकारों के लिए पश्चिमी गोलार्ध का सबसे घातक देश बना हुआ है।

हालांकि, सीपीजे की इस रिपोर्ट में पहली बार हॉन्गकॉन्ग में पत्रकारों को जेल में डालने का मामला सामने आया है, जो शहर में लोकतंत्र के समर्थन में आंदोलन की प्रतिक्रिया में लगाए गए सख्त 2020 नेशनल सिक्योरिटी लॉ लागू होने का नतीजा है। हॉन्गकॉन्ग में 8 मीडिया शख्सियतों को जेल में डाले जाने से पहले से संकट से जूझ रही स्वतंत्र प्रेस को तगड़ा झटका लगा है।

वहीं, रिपोर्ट में कवरेज के दौरान इस साल होने वाली पत्रकारों के निधन की भी खबर दी गई है। रिपोर्ट में बताया गया कि इस साल अभी तक कम से कम 24 पत्रकारों को अपनी कवरेज के चलते जान गंवानी पड़ी है। 18 अन्य की मौत ऐसी परिस्थितियों में हुई जहां यह स्पष्ट नहीं था कि उन्हें ही निशाना बनाया गया है।

रिपोर्ट में भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी का भी जिक्र है, जिन्हें अफगान सुरक्षाबलों के साथ पाकिस्तान से सटी अहम सीमा चौकी के पास तालिबान लड़ाकों के साथ संघर्ष को कवर के दौरान निशाना बनाया गया। 16 जुलाई 2021 को तालिबान ने उनकी हत्या कर दी थी। वहीं, 2021 में ही मेक्सिको के पत्रकार गुस्तावो सांचेज कैबरेरा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

छह जुलाई 2021 को नीदरलैंड्स की राजधानी एम्सटर्डम के बीचो बीच एक जाने माने क्राइम रिपोर्टर पेटर आर दे विरीज को एक टेलीविजन स्टूडियो के बाहर अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी। ऐसा अंदेशा लगाया जा रहा था कि हमले के पीछे संगठित अपराध की दुनिया का एक गिरोह शामिल है। गोली लगने के नौ दिन बाद उनकी मौत हो गई थी।

साभार– समाचार4मीडिया


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