इन दिनों तमाम यंगस्टर्स टैटू के दीवाने हैं लेकिन हाल ही में हुई एक स्टडी में सामने आया है कि टैटू बनाने वाली सुई से छोटे-छोटे मेटल निकलकर स्किन में प्रवेश कर जाते हैं।
फ्रांस के ग्रेनोबल में यूरोपियन सिंक्रोट्रॉन रेडिएशन फैसिलिटी के वैज्ञानिक ने टैटू बनवाने वाले लोगों के लिम्फ नोड में क्रोमियम मेटल्स पाए। स्टडी में यह भी निकलकर आया कि ये धातुएं बॉडी में कई तरह से प्रॉब्लम्स पैदा करती हैं।
हाल ही में आई एक स्डटी के बाद इस वैज्ञानिक का कहना है कि कलर्ड टैटू आपके लिम्फ नोड्स में भारी केमिकल्स का रिसाव कर सकते हैं और बॉडी में अपनी स्याही से एलर्जी पैदा कर सकते हैं। इस स्टडी के बाद यह साबित हुआ है कि टैटू बनाने वाली सुईं से छोटे-छोटे मेटल के कण आपकी स्किन में प्रवेश करते हैं और लिम्फ नोड्स में घूमने लगते हैं, जिससे आपको कई तरह की एलर्जी हो सकती है। खास बात यह है कि इस तरह की एलर्जी का ट्रीटमेंट भी आसान नहीं होता।
लिम्फ नोड में मिले केमिकल्स
लिम्फ नोड (इम्यून सिस्टम का एक पार्ट) है, जिसमें मेटल्स के छोटे कण पाए गए हैं। यह स्टडी 850 लोगों पर की गई। फ्रांस के ग्रेनोबल में यूरोपियन सिंक्रोट्रॉन रेडिएशन फैसिलिटी के साइंटिस्ट ने टैटू बनवाने वाले लोगों के लिम्फ नोड में क्रोमियम धातुएं पाईं। ये धातुएं एलर्जी पैदा करने वाली होती हैं।
दरअसल, टैटू बनाने के लिए कलर्ड चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें मेटल्स होते हैं। यही मेटल्स सुईं से बॉडी में बहने लगते हैं। दरअसल, इसमें सफेद रंग की स्याही का यूज किया जाता है, जिसे टाइटेनियम डाइऑक्साइड कहा जाता है और इसे अक्सर ब्लू, ग्रीन और रेड जैसे ब्राइट कलर्स से मिलाया जाता है।
सुई के जरिए अंदर पहुंचते हैं मेटल्स के कण
ईएसआरएफ के वैज्ञानिक इनेस श्राइवर के मुताबिक टैटू में यूज होने वाले आयरन, क्रोमियम और स्याही के रंग के बीच संबंध ढूंढ़ने के लिए हमने कई एक्सपेरिमेंट किए, जिसके बाद हमने यह महसूस किया कि सुईं से छोटी-छोटी धातुओं के कण त्वचा में प्रवेश करते हैं और लिम्फ नोड में बहने लगते हैं जिससे एलर्जी पैदा होती है।
-एजेंसियां