कुमाऊं/ देहरादून। अल्मोड़ा जिले के जागेश्वर स्थित भगवान शिव के 125 मंदिरों के राष्ट्रीय धरोहर घोषित होने के बाद अब 4 और मंदिरों को भी राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के प्रस्ताव पर मुहर लग गई है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग देहरादून मंडल की ओर से इस संबंध में विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर संस्कृति मंत्रालय को भेज दिया गया है। जागेश्वर स्थित चार शिव मंदिरों के साथ ही अल्मोड़ा जिले के ही शिवनारा कोट स्थित प्राचीन जलसंग्रह संरचना नौला को भी राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने की योजना बनाई गई है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. आरके पटेल ने बताया कि जागेश्वर स्थित भगवान शिव के 125 मंदिरों के समूह को पहले ही संस्कृति मंत्रालय ओर से राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जा चुका है। अब चार और मंदिरों को के अलावा शिवनारा कोट स्थित एक हजार साल पुरानी जलसंग्रह संरचना नौला को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की योजना तैयार की गई है।
इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर संस्कृति मंत्रालय को भेजा जा चुका है। संस्कृति मंत्रालय की ओर से इन दोनों ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के स्थलों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने को लेकर अनुमति भी प्रदान की जा चुकी है। जल्द ही मंत्रालय की ओर से इन्हें राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया जाएगा। इस संबंध में जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी।
अशोक शिलालेख कालसी समेत उत्तराखंड में हैं 43 राष्ट्रीय धरोहर
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में 43 राष्ट्रीय धरोहर हैं। इसमें अशोक शिलालेख कालसी, लाखामंडल स्थित शिव मंदिर, हलोल स्थित भगवान महासू मंदिर, जगतग्राम स्थित प्राचीन स्थल, वीरभद्र स्थित उत्खनन स्थल, देहरादून स्थित कलिंगा स्मारक, रुड़की स्थित अंग्रेजों का कब्रिस्तान, नैनीताल स्थित प्राचीन सीताबनी मंदिर आदि धरोहर शामिल हैं।
जागेश्वर में ही सबसे पहले शुरू हुई शिवलिंग पूजा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव जागेश्वर में जागृत रूप में विद्यमान हैं। मान्यताओं के मुताबिक शिवलिंग की पूजा सबसे पहले जागेश्वर से ही शुरू हुई। सावन के महीने में जागेश्वर में किया गया पूजा पाठ बहुत ही फलदायी माना जाता है। महाशिवरात्रि और सावन महीने में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए जागेश्वर में जलाभिषेक और पूजा-अर्चना करते हैं।
-एजेंसी